नई दिल्ली. भारतीय शेरों के लिए विख्यात गुजरात के गिर अभयारण्य में ‘जंगल के राजा’ के ऊपर खतरा मंडरा रहा है. दुर्घटना या अन्य वजहों से भारतीय वन्यजीवों की प्रजातियों में सबसे अनोखी इस प्रजाति के कुनबे को इस खतरनाक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि गिर के जंगल में महज दो वर्षों में 184 शेरों की मौत हो गई. अब गिर के जंगल में 523 शेर ही बचे हैं. यह जानकारी राज्य सरकार ने सोमवार को विधानसभा में दी. हालांकि सरकार ने यह भी कहा कि अभयारण्य में शेरों के कुनबे में 46 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी हुई है.
2016 में 104 और 2017 में 80 शेरों की हुई मौत
विधानसभा में राज्य सरकार ने शेरों की मौत की यह जानकारी एक सवाल के जवाब में दी है. इसके अनुसार 2016 में 104 और 2017 में 80 सिंहवंशों की मौत हुई है. इनकी मौत की वजह प्राकृतिक-अप्राकृतिक बताई गई है. सरकार ने सिंहों की मौत की वजह बताते हुए कहा कि वर्ष 2016 में मारे गए शेरों में 21 नर, 40 मादा, 31 शावक सहित कुल 92 सिंहवंश मरे। इसके अलावा 12 शेरों की मौत अप्राकृतिक या दुर्घटनावश हुई. वर्ष 2017 में 11 नर सिंह, 17 मादा, 32 शावक सहित कुल 60 की मौत प्राकृतिक रूप से हुई. वहीं 20 सिंहवंश की मौत अप्राकृतिक या दुर्घटना के कारण दर्ज की गई.
10 साल में शेरों के कुनबे में 46 प्रतिशत की वृद्धि
गिर के अभयारण्य में शेरों की मौत के आंकड़े जारी करते हुए सरकार ने तस्वीर का दूसरा पहलू भी सामने रखा. सरकार ने बताया कि एक तरफ जहां गिर जंगल में दो साल में 184 शेरों की मौत हुई है, वहीं दूसरी ओर सुखद आंकड़ा यह है कि पिछले 10 साल में सिंहों के कुनबे में 46 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है. इसी वृद्धि के कारण गिर अभयारण्य में अब शेरों की संख्या 523 हो गई है.
एशियाई शेरों के लिए विख्यात है गिर अभयारण्य
गुजरात में लगभग 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ गिर अभयारण्य दक्षिण अफ्रीका के बाद विश्व का इकलौता ऐसा स्थान है जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है. 1969 में गिर वन को अभयारण्य का दर्जा दिया गया. पताड़ वृक्षों, कांटेदार झाड़ियों के अलावा हरे-भरे पेड़ों से समृद्ध गिर का जंगल नदी किनारे बसा है. यहां के मुख्य वृक्षों में सागवान, शीशम, बबूल, बेर, जामुन, बील आदि हैं. एशियाई शेरों के अलावा गिर अभयारण्य में भारत के सबसे बड़े कद के हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और बारहसिंगा भी देखे जा सकते हैं. साथ ही यहां भालू और बड़ी पूंछ वाले लंगूर भी बड़ी तादाद में पाए जाते हैं.