मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस शोध में भाग लेने वाली महिलाओं को यौनवर्धक दवा दी जा रही थी। शोध ऐसी महिलाओं पर किया गया जिनमें गर्भस्थ शिशु की गर्भनाल कमजोर पाई गई थी। लेकिन इसका परिणाम यह रहा कि यौनवर्धक दवाईयों की वजह से महिलाओं के रक्त प्रवाह मे कमीं आई। जिससे बच्चों के फेफड़ो पर बहुत गहरा असर पड़ा। और गर्भ मे पल रहे सभी बच्चों की मौत हो गई। हालाकि इसे लेकर शोधकर्ताओं ने सफाई दी की पहले भी इस तरह के शोध किए जा चुके है। लेकिन किसी तरह के नुकसान सामने नहीं आए थे।
बच्चों की मौत को लेकर चिकित्सकों के एक पैनल ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के परिवर्तन आते है। अगर समय पर ध्यान नहीं दिया जाए तो परिणाण और भी गंभीर हो जाते है। इसी का एक उदाहरण है बच्चों की नाल का कमजोर होना। जिसकी वजह से समय से पहले बच्चों का जन्म होता है। ऐसे बच्चों में बचने के चांस बहुत कम होते है। उन्होंने कहा कि कुल 90 महिलाओं पर शोध किया गया था। जिनमें से कुछ महिलाओ को डमी दवाई दी गई थी।
लेकिन असर बराबर ही हुआ था। इस ग्रुप की 11 महिलाएं ऐसी थी जिनके बच्चों की मौत हो गई थी। हालांकि यह बच्चे पहले से ही कमजोर थे। उन्होंने कहा की गर्भावस्था के दौरान बहुत सी समस्याएं आती है। जिनका पता अल्ट्रासउंड से ही चलता है। वहीं चिकित्सकों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान वियाग्रा लेने से शरीर पर कई सारे विपरित असर देखे गए हैं। जो बच्चे के लिए खतरनाक साबित होते हैं.