एसबीआई रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खाने-पीने की वस्तुएं सस्ती होने की वजह से बीते मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 3.34% के स्तर पर आ गई। यह 67 महीनों में महंगाई का सबसे निचला स्तर है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई दर 4% से नीचे रहने का अनुमान जारी किया गया है।
वित्त वर्ष 2025-26 में चालू मूल्य पर जीडीपी की विकास दर 9-9.5% के बीच रहने का अनुमान है, जो बजट में बताए गए 10% के अनुमान से कम है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमान से कम ग्रोथ और महंगाई दर कई वर्षों के स्तर से नीचे होने के चलते हम भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से नीतिगत दरों में तेज कटौती की उम्मीद कर रहे हैं। अगले साल मार्च तक 125 आधार अंकों से लेकर 150 आधार अंकों की कटौती हो सकती है। इसमें से 25 आधार अंकों की कटौती फरवरी में हो भी चुकी है।
कब-कब होगी ब्याज दरों में कटौती?
एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने रिपोर्ट में कहा कि हमारा अनुमान है कि रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कटौती जून और अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में, जबकि 50 आधार अंकों की कटौती अक्टूबर से फरवरी के बीच होने का अनुमान है। नीतिगत दर रेपो रेट में यह कटौती उसके ~5.0%-5.25% के पास पहुंचने पर ही रुकेगी।
बता दें, बैंकों द्वारा दिए जाने वाले होम लोन सीधे तौर पर रेपो रेट से जुड़े होते हैं। वहीं, अन्य लोन पर भी इस नीतिगत दर का असर पड़ता है। ऐसे में यदि रेपो रेट में 1.25% से 1.25% कमी आती है तो होम लोन की दर में भी सीधे इतने की कमी आ जाएगी। यानी यदि आपका होम लोन अभी 8.50% की दर पर है तो वह घटकर 7%-7.25% हो जाएगा।
फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें भी होंगी कम
नीतिगत दरों में कटौती का असर जमा की ब्याज दरों पर भी पड़ता है। इससे फिक्स्ड डिपॉजिट, रेकरिंग डिपॉजिट की ब्याज दरें भी घट जाएंगी। इसका नुकसान मुख्य रूप से उन वरिष्ठ नागरिकों को होगा, जो अपने खर्चों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट के ब्याज पर निर्भर रहते हैं।
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