राष्ट्रपति भवन संग्रहालय परिसर 5 जनवरी से फिर से खुलने जा रहा है। बता दें कि देश में कोरोना महामारी के चलते यह परिसर 13 मार्च 2020 से बंद था।
राष्ट्रपति भवन संग्रहालय भारतीय स्वतंत्रता, लोकतंत्र और एकता का प्रतीक है। यह संग्रहालय जिसका औपचारिक उद्घाटन 25 जुलाई, 2014 को किया गया था, वर्षों के दौरान भारतीय राष्ट्रपतियों द्वारा प्राप्त अनगिनत उपहारों का संरक्षण और प्रदर्शन करने की राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पहल का परिणाम है। इन उपहार शिल्पकृतियों के अतिरिक्त, संग्रहालय के संग्रह में अस्त्र-शस्त्र, फर्नीचर, प्रतिमाएं, वस्त्र, छायाचित्र, पुरालेखीय सामग्री आदि वस्तुएं शामिल हैं।
इस संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा था, “मैं राष्ट्रपति भवन संग्रहालय राष्ट्र को समर्पित करता हूं। मुझे विश्वास है कि इस संग्रहालय से हमारे राष्ट्र की जनता को राष्ट्रपति भवन की आंतरिक जानकारी, हमारी कला, वास्तुकला तथा जीवंत समुदाय के दर्शन होंगे तथा उन्हें अनेक राष्ट्रपतियों के जीवन की जानकारी मिलेगी।”
इससे पूर्व, स्वतंत्रता के बाद से भारत के राष्ट्रपतियों द्वारा प्राप्त उपहार राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित भण्डारगृह तोशाखाना में रखे जाते थे तथा उपहार वीथिकाओं में प्रदर्शित किए जाते थे। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इन मूल्यवान स्मृतिचिह्नों के लिए एक विशेष स्थान निर्मित करने की इच्छा महसूस की। इस उद्देश्य से, एक विरासत ढांचे, पूर्व अस्तबल तथा कोच हाऊस का संरक्षण किया गया और इन्हें शानदार अत्याधुनिक संग्रहालय में बदल दिया गया। संग्रहालय के द्वारों और खिड़कियों पर अभी भी अश्व नाल के प्रतिरूप हैं। वास्तव में प्रत्येक स्टाल को आकर्षक ढंग से एक एन्क्लेव में तब्दील किया गया है तथा उपहारों और कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है। संग्रहालय के चरण-1 में प्रदर्शन के लिए ऐसे 22 एन्क्लेव हैं।
संग्रहालय को तीन गलियारों में विभाजित किया गया है, बायां गलियारा, लम्बा कक्ष तथा दायां गलियारा। उपहार और चित्र बाएं और दाएं गलियारों में दर्शाए गए हैं जबकि लम्बा गलियारा आगे जाकर तीन हिस्सों, युद्ध दृश्य वीथिका, फर्नीचर वीथिका तथा राष्ट्रपति अंगरक्षक वीथिका में बंट जाता है। गलियारों के अतिरिक्त, प्रदर्शन वस्तुओं के लिए एक कोच हाऊस तथा विशेष कक्ष है जो राष्ट्रपति भवन संग्रहालय के चरण-I के हिस्से हैं।