खुशखबरी यूपी में थर्ड जेंडर को भौमिक अधिकार दिलाएगी योगी सरकार

प्रदेश सरकार समाज के उपेक्षित वर्गों  में थर्ड जेंडर और विधवाओं को महत्वपूर्ण भौमिक अधिकार देने पर विचार कर रही है। इसके लिए राजस्व संहिता-2006 के प्रावधानों में कई महत्वपूर्ण अंश जोड़ने का प्रस्ताव है।

इन प्रस्तावों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने एक बार प्रजेंटेशन हो चुका है। सरकार कैबिनेट की अनुमति लेकर इन वर्गों को ये अधिकार देने की तैयारी कर रही है। राजस्व संहिता की धारा-4(10) में किसी भू-खातेदार के परिवार के सदस्यों को परिभाषित किया गया है।

 

वर्तमान में किसी भू-खातेदार के संबंध में परिवार का मतलब स्वयं पुरुष या स्त्री और उसकी पत्नी या उसका पति (न्यायिक रूप से पृथक पत्नी या पति से भिन्न), अवयस्क पुत्रों और विवाहित पुत्रियों से भिन्न अवयस्क पुत्रियों से है।

प्रस्तावित संशोधन द्वारा थर्ड जेंडर व्यक्ति को भी भू-खातेदार के सदस्य के रूप में शामिल किया जा रहा है। इससे थर्ड जेंडर व्यक्तियों को भी भौमिक अधिकार तथा उत्तराधिकार प्राप्त हो सकेगा। इसे बड़े सामाजिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है।

इसी तरह संहिता में अन्य लिंगक (थर्ड जेंडर) के लिए भूमि के उत्तराधिकार का कोई प्रावधान नहीं है। राज्य विधि आयोग ने थर्ड जेंडर को उत्तराधिकार दिए जाने की सिफारिश की थी। इसी तरह सामाजिक समता समिति ने भी संस्तुतियां की थी।

सरकार अब इस सिफारिश पर अमल करने जा रही है। सामाजिक समता समिति और विधि आयोग की संस्तुतियों के मद्देनजर राजस्व संहिता की धारा-108, 109 और 110 में उचित स्थान पर थर्ड जेंडर के उत्तराधिकार का वरीयता क्रम तय किया जा रहा है। इससे थर्ड जेंडर को समान अधिकार और सामाजिक मान्यता मिल सकेगी।

राजस्व संहिता में दिव्यांगजनों को कृषि भूमि के आवंटन में वरीयता देने का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार के दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम में दिव्यांगजन को भूमि आवंटन किए जाने का प्रावधान किया है।

योगी सरकार अब राजस्व संहिता में दिव्यांगजनों को भूमि के आवंटन में वरीयता देने के साथ ही सामाजिक समता के मद्देनजर विधवाओं को भी वरीयता क्रम में शामिल करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए संहिता की धारा-126 में प्रावधान की योजना है।

चकबंदी के बाद भी सरकार सार्वजनिक उपयोग के लिए भूमि आरक्षित कर सकेगी सरकार सार्वजनिक उपयोग के लिए भूमि आरक्षित करने का प्रावधान अभी केवल चकबंदी प्रक्रिया में है। चकबंदी के बाद ग्राम सभा की भूमि को सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित करने का प्रावधान करने की योजना है।

इसी तरह पुनग्रर्हण आदेश में संशोधन का भी प्रावधान संहिता में नहीं है इसके लिए राजस्व संहिता की धारा- 59 (4) (क) में प्रावधान की योजना है। इससे सार्वजनिक उपयोग में खेल के मैदान, चरागाह व श्मशान स्थल आदि के लिए भूमि आरक्षित की जा सकेगी और बकाया भूमि को फिर से ग्राम सभा में शामिल किया जा सकेगा।

सरकार औद्योगीकरण को रफ्तार देने के लिए भूमि व्यवस्था से जुड़े कई प्रावधान में संशोधन पर विचार कर रही है। मसलन, वर्तमान में सुरक्षित श्रेणी की भूमि का श्रेणी परिवर्तन व विनिमय उसी दशा में किया जा सकता है जब वह किसी लोक प्रयोजन प्रोजेक्ट के भूखंड से घिरी हो या उसके बीच में हो।

इससे सरकार को केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न परियोजनाओं के लिए सुरक्षित श्रेणी की भूमि के विनिमय में कठिनाई होती है। सरकार सुरक्षित श्रेणी की भूमि के विनिमय में सुगमता के लिए इस धारा में वर्तमान प्रावधान के साथ ‘अथवा लोक प्रयोजन के लिए अपरिहार्य है’ शब्द जोड़ने पर विचार कर रही है। इससे सरकार जरूरत के हिसाब से सुरक्षित श्रेणी की भूमि को आसानी से विनिमय व आरक्षित कर सकेगी।

प्रदेश में छुट्टा गौवंश सरकार के लिए अभी भी चुनौती बने हुए हैं। जिलों में गौवंश संरक्षण में चरागाहों का उपयोग किया जा रहा है। पर, चरागाह में किसी तरह का निर्माण कार्य किए जाने की व्यवस्था न होने से पशुओं को वहां रखने व उनके संरक्षण में दिक्कतें आ रही हैं।

सरकार ने गौवंश के संरक्षण, अन्ना प्रथा समाप्त करने, आवारा व घुमंतू पशुओं से फसलों की सुरक्षा के मद्देनजर चरागाहों को विकसित करने की योजना बनाई है। इसके लिए राजस्व संहिता की धारा-60-2 में संशोधन कर चरागाहों में अस्थायी निर्माण के प्रावधान का प्रस्ताव है।

इससे चरागाहों के कुछ अंश पर पशुओं के लिए ट्यूबवेल, चरही बनाने, भूसा-चारा आदि रखने के लिए अस्थायी टीन शेड आदि की स्थापना का रास्ता साफ हो जाएगा। चरागाहों के विकास की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को देने की योजना है।

राजस्व संहिता लागू होने के बाद किसी रजिस्ट्रीकृत फर्म, कंपनी, पार्टनरशिप फर्म, न्यास समिति, शैक्षिक या पूर्त संस्था द्वारा राज्य सरकार की बिना अनुमति के 12.5 एकड़ से अधिक खरीदी गई भूमि के विनियमितीकरण का प्रावधान है।

लेकिन जमीदारीं विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम के समय इस तरह खरीदी भूमि का विनियमितीकरण नहीं हो पाया था, संहिता में उसके विनियमितीकरण की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार संहिता लागू होने के पूर्व और बाद बिना अनुमति क्रय की गई सभी भूमि के विनियमितीकरण का प्रावधान करने पर विचार कर रही है।

इसके लिए सर्किल रेट का शत-प्रतिशत जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। हालांकि अभी जुर्माने की राशि पर निर्णय होना बाकी है। इससे सरकार को राजस्व की आय भी हो सकेगी। इसके लिए धारा-89(3) में संशोधन हो सकता है।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com