NEW DELHI: नोटबंदी के बाद केन्द्र सरकार जन धन खातों में 10,000 रुपए डलवाने पर विचार कर रही है। केन्द्र सरकार की जीरो बैलेंस वाले खातों में प्राथमिकता के आधार पर पैसा जमा कराने की योजना है।
इस पर यूपी, पंजाब और गोवा के चुनाव से पहले ही अमल होने की संभावना है। ताकि केन्द्र सरकार 15 लाख रुपये जमा करने वाले जुमले और नोटबंदी से संभावित नुकसान से बच सके।
25 करोड़ खाते खुलवाए गए
नोटबंदी से गरीबों का नहीं होगा नुकसानपीएम जन धन योजना के तहत देश भर में 25 करोड़ खाते खुलवाये गए थे। इनमें से 5.8 करोड़ खाते में आज भी जीरो बैलेंस पर चल रहे है। अगर सरकार इस पर अमल करती है तो उस पर 58,000 करोड़ रुपये का भार बढ़ेगा।
जानकारों का मानना है कि आरबीआई के खाते में 3 लाख करोड़ रुपयों की बारिश कराने के बाद केन्द्र सरकार कुछ राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले गरीब लोगों और किसानों के बीच सरकार यह संदेश देना चाहती है नोटबंदी से उनका नुकसान होने के बदले लाभ होगा।
गेम चेंजर साबित होगा
गेम चेंजर साबित होगा जन धनअगर सरकार इस दिशा में कदम आगे बढ़ती है तो अगले साल विधानसभा चुनावों में यह गेम चेंजर साबित होगा।
बताया जा रहा है कि भाजपा नोटबंदी के बाद अपने कोर वोट बैंक व्यापारी और मध्यवर्ग के खिसकने के डर से यह कदम उठाना चाहती है। बदले माहौल में सरकार गरीबों और किसानों को अपने पक्ष में करना चाहती है।
गरीबों को सशक्त बनाना मेन एजेंडा
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार का मेन एजेंडा भी देश के गरीबों को सशक्त करना है। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा दो लगातार चुनावों में जीत हासिल कर गरीब और किसानों के बीच अपना जनाधान मजबूत करने में भी सफल होगी।
हालांकि भगवा ब्रांड के राजनीतिक पंडित केंद्र सरकार नोटबंदी जैसे पॉलिटिकल गेम को लेकर काफी चिंतित भी है। इन लोगों का मानना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कैश पर निर्भर है। ऐसे में नोटबंदी पार्टी के लिए घाटे का सौदा भी हो सकता है। इस बात के संकेत सरकार को उत्तर प्रदेश, पंजाब और अन्य राज्यों से मिले भी हैं।