काफी दिनों से पेट्रोल पम्पों द्वारा कम पेट्रोल डाले जाने की सूचनाआएँ मिल रही थी,लेकिन ये बात समझ में नहीं आ पा रही थी की जब मीटर चलता है तो ये पेट्रोल पंप वाले कम पेट्रोल कैसे डाल देते हैं इसी उधेड़बुन को लेकर एक रिपोर्टर पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल डलवाने गया जहाँ से ये शिकायते आ रही थी…..
इन सब हरकतों से मिलता है कम पेट्रोल
जब मैं पेट्रोल पम्प पर पहुँचा तब मुझसे पहले दो और लोग पेट्रोल डलवा रहे थे इसीलिए मैंने भी अपनी बाइक लाइन में लगा दी और गौर से कर्मचारियों के पेट्रोल डालने का निरीक्षण करने लगा, मुझसे पहले मारुती स्विफ्ट वाला पेट्रोल डलवा रहा था, उसने एक हज़ार रुपए का नोट गाड़ी के अन्दर से ही कर्मचारी को दिया चूँकि बारिश हो रही थी इसीलिए ड्राईवर ने बाहर आना उचित नही समझा. कर्मचारी ने पहले मीटर शून्य किया फिर उसमें हजार रुपए फीड किये और नोज़ल लेकरपेट्रोल डालने लगा इस समय मैं यह सोचने में व्यस्त था
की जब मीटर में हज़ार रुपए फीड कर दिए गये हैं तो निसंदेह हज़ार का ही पेट्रोल निकलेगा, फिर मैंने सोचा अगर मीटर में कुछ गड़बड़ नही है तो फिर आखिर ये लोग कैसे लोगों को बेवक़ूफ़ बनाकर कम पेट्रोल डाल देते हैं? हो सकता है मुझे झूठी शिकायत मिली हो…!
बस यही सोचते-सोचते मेरे सीधा ध्यान नोज़ल पर था तभी मुझे अचानक से कर्मचारी के हाथ में कुछ हरकत महसूस हुई उसने इतने धीरे से हाथ हिलाया की पास खड़े शख्स को भी सँदेह न हो पाए लगभग 20 या 30 सैकिंड बाद फिर उसने वही हरकत दोबारा की, अब मुझे दाल में कुछ काला लगा कि आखिर इसने दो बार हाथ में हरकत क्यूँ की जबकि नोज़ल
का स्विच एक बार दबा देने पर स्वत: पेट्रोल टंकी में गिरने लगता है. इतने में स्विफ्ट में 1000 Rs का पेट्रोल डालने के बाद उसने मुझसे आगे वाली बाइक में 100 का पेट्रोल डालना शुरू कर दिया, उसने वही क्रिया फिर दोहराई पहले मीटर को शून्य किया फिर नोज़ल टंकी में डालकर पेट्रोल डालने लगा लेकिन अचानक से उसने हाथ में फिर हरकत की लेकिन इस बार की हरकत 20 या 30 सैकिंड की न होकर 8 से10 सैकिंड की थी. अब मुझे समझ में आ गया हो न हो इसके नोज़ल में ही कुछ गड़बड़ है. खैर उसके बाद मेरा नम्बर भी आ गया मैंने 200 रुपए देकर पेट्रोल डालने को कहा उसने फिर मीटर जीरो किया और नोज़ल डालकर पेट्रोल डालने लगा, इस बार मेरा पूरा ध्यान कर्मचारी की उंगलियों पर था अभी नोज्ज़िल डाले कुछ ही सेकंड बीते होंगे की उसने उंगलियों में कुछ हरकत की लेकिन में पहले से ही तैयार था तो उसके हरकत करते ही मैंने उसका हाथ पकड़कर नोज़ल बाहरखींच लिया, इस हरकत से कर्मचारी घबरा गया और मेरी बाइक भी लड़खड़ा गयी लेकिन ये क्या नोज़ल से तो पेट्रोल आ ही नही रहा था?
कुछ यूँ है की जिस नोज़ल से
कर्मचारी पेट्रोल डालते हैं उसका सम्बन्धमीटर से होता है अगर मीटर में 200 रुपए का पेट्रोल फीड किया गया है तो एक बार नोज्ज़िल का स्विच दबाने पर स्वतः 200 रुपए का पेट्रोल डल जायेगा उसे ऑफ करने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ती, स्विच सिर्फ मीटर को ऑन करने के लिए होता है उसका ऑफ से कोई सम्बन्ध नहीं होता क्योंकि मीटर फीड की हुई वैल्यू खत्म होने पर रुक जाता है अगर पेट्रोल डालते समय नोज़ल का स्विच बंद कर दिया जाएये तो मीटर चलता रहता है लेकिन नोज़ल बंद होने की वजह से पेट्रोल बाहर नहीं निकलता, इसी बात का फायदा उठाकर कर्मचारी करते ये हैं कि जब भी कोई पेट्रोल डलवाता है तो बीच- बीच में स्विच-ऑफ कर देते हैं जिससे रुक-रुक कर पेट्रोल टंकी में जाता है और हम कंपनी को कम mileage की गाड़ी कहकर कोसकर चुप हो जाते हैं. फर्ज़ कीजिये आप पेट्रोल पम्प पर गये और 200 रुपए का पेट्रोल डलवाया 200 रुपए का पेट्रोल डलने में 30-45 सेकंड का समय लगता है आपका सारा ध्यान मीटर की रीडिंग पढ़ने में निकल जाता है और अगर ये लोग 10 सेकंड के लिएभी स्विच ऑफ करते हैं तो समझ लीजिये आपका 50 रुपए का पेट्रोल कम डाला गया है. कृपया सभी लोग आगे से जब भी पेट्रोल लेने जाएँ और आपके साथ भी ऐसा कुछ हो तो इसका कड़ा विरोध करें.