क्यों समर्थन नहीं करता विज्ञानं सांप को दूध पिलाने की बात पर…

हिंदू धर्म में नागपंचमी के दिन सर्प को दूध पिलाने की परंपरा आदि काल से चली आ रही है। मान्‍यता है कि सावन के महीने में नाग देवता की पूजा करने और नाग पंचमी के दिन दूध पिलाने से भगवान शिव प्रसन्‍न होते हैं और घर में अन्‍न-धन के भंडार भरे रहते हैं। मगर विज्ञान की मानें तो सांप को दूध पिलाना उसके लिए नुकसानदेह है। आइए जानते हैं कि इस परंपरा के पीछे क्‍या है धार्मिक महत्‍व और क्‍या हैं वैज्ञानिक तर्क…

धार्मिक मान्‍यता

नागपंचमी के दिन सांप को दूध पिलाने और लावा अर्पित करने की परंपरा है। इस दिन सपेरे टोलियों में घर-घर घूमकर नागों के दर्शन करवाते हैं और भिक्षा मांगते हैं। श्रृद्धालु नागों को दूध पिलाने के साथ सपेरे को भी दान करते हैं।

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विज्ञान की मानें तो सांप रेप्‍टाइल जीव हैं न कि स्‍तनधारी। रेप्‍टाइल जीव दूध को हजम नहीं कर सकते और ऐसे में कई बार उनकी मृत्‍यु तक हो जाती है। दूध पिलाने से सांप की आंत में इन्‍फेक्‍शन हो सकता है।

डॉक्‍टर कहते हैं ऐसा

पशुओं के एक सरकारी डॉक्‍टर राजेश वार्ष्‍णेय ने बताया, ‘सांप का पाचन तंत्र इस प्रकार का नहीं होता कि वह दूध को हजम कर सकें। सांप एक कोल्‍ड ब्‍लडेड और मांसाहारी रेप्‍टाइल है। जबकि दूध का सेवन स्‍तनधारी करते हैं।’ ऐसा करके लोग अपने आराध्‍य नाग देवता की पूजा के बजाए उनको नुकसान पहुंचाते हैं।

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