क्या फिर गृहयुद्ध की दल-दल में फंसा यमन?

यमन में कई साल से चल रही अशांति बीच दक्षिणी हिस्से में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) समर्थित अलगाववादी संगठन सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) ने देश के तेल-समृद्ध इलाकों हदरामौत और महरा के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है। इससे अब तक बनी हुई हाल की शांति टूट गई है और क्षेत्र में नए तनाव बढ़ने लगे हैं। देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों से यमन में लड़ाई कुछ कम हो गई थी, क्योंकि सऊदी अरब और हूती विद्रोहियों के बीच एक तरह का समझौता हो गया था। लेकिन एसटीसी की इस नई कार्रवाई से हालात फिर से बिगड़ने लगे हैं।

एसटीसी दक्षिण यमन को अलग देश बनाने की मांग करने वाला बड़ा संगठन है। इसे यूएई का राजनीतिक और सैन्य समर्थन मिलता है। यह संगठन 2017 में बना था और दक्षिणी यमन के बड़े हिस्से में इसकी पकड़ मजबूत है। एसटीसी के प्रमुख ऐदारूस अल-जुबैदी देश की राष्ट्रपति परिषद के उपाध्यक्ष भी हैं।


अब समझिए कैसे शुरू हुआ यमन का संकट?
बता दें कि 2014 में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार को देश छोड़ना पड़ा। एक साल बाद 2015 में सऊदी अरब और यूएई इस युद्ध में सरकार की मदद के लिए शामिल हुए। हालांकि तब से यमन दो हिस्सों में बंट चुका था। एक तरफ उत्तरी इलाके में हूतियों के कब्जें में और दूसरी ओर दक्षिणी हिस्से सरकार व उसके समर्थक समूहों के नियंत्रण में था।

तेल क्षेत्रों पर कब्जे से मामला कैसे बढ़ा?
दरसअल इसी महीने एसचीसी ने अचानक हदरामौत में मार्च करते हुए बड़े तेल प्रतिष्ठानों पर कब्ज़ा कर लिया, जिनमें यमन की सबसे बड़ी तेल कंपनी पेट्रोमसीला भी शामिल है। इससे पहले सऊदी समर्थित स्थानीय कबीलों ने तेल राजस्व में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग करते हुए इस इलाके पर कुछ समय के लिए कब्जा किया था।

ऐसे में एसटीसी ने इसी को मौका बनाकर अपनी ताकत बढ़ाई और इलाके पर पूरी तरह नियंत्रण कर लिया। इसके बाद एसटीसी ने पड़ोसी प्रांत महरा में भी प्रवेश किया और ओमान सीमा पर स्थित एक महत्वपूर्ण चेकपोस्ट पर कब्जा कर लिया। अदन में उन्होंने राष्ट्रपति भवन पर भी नियंत्रण कर लिया, जहां सरकारी नेतृत्व बैठता है।

क्यों परेशान है सऊदी अरब?
इस बात को ऐसे समझ सकते हैं कि यमन में और एसटीसी की कार्रवाई को सऊदी अरब ने खतरे की तरह देखा है। सऊदी सेना ने कुछ दिन पहले ही अदन से अपने सैनिक हटा लिए थे और अब वह हालात शांत करने की कोशिश कर रहा है। सऊदी अधिकारियों ने साफ कहा कि वे तथ्य को जबरन थोपने जैसी किसी भी कोशिश को स्वीकार नहीं करेंगे। उनका संकेत साफ है कि एसटीसी ने सीमा लांघ दी है और उन्हें यह कदम मंजूर नहीं। वहीं अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का कहना है कि यूएई इस स्थिति से सबसे बड़ा फायदा उठा रहा है और यमन में उसकी पकड़ और मजबूत हो रही है।

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