महाराष्ट्र में आए दिन किसी न किसी मुद्दे पर बवाल देखने को मिल रहा है। औरंगजेब को लेकर कोल्हापुर में हुई हिंसा के बाद बीते दिन पुणे के अलंदी शहर में बवाल हुआ।
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यहां एक मंदिर की ओर जा रहे वारकरी भक्तों और पुलिस के बीच कहासुनी हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई।
क्यों हुआ विवाद
दरअसल, यह विवाद आलंदी के श्रीक्षेत्र मंदिर में प्रवेश को लेकर है। आरोप है कि पुणे से थोड़ी दूरी पर स्थित आलंदी शहर में एक जुलूस निकालते हुए वारकरी भक्त संत ज्ञानेश्वर महाराज समाधि मंदिर में जबरन प्रवेश पाने की कोशिश कर रहे थे। पुलिस का कहना है कि तय कार्यक्रम के अनुसार यहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी और एक बार में 75 लोग ही मंदिर में प्रवेश कर सकते थे, लेकिर 400 लोग एक साथ जाने लगे थे।
इसका विरोध करते हुए कुछ लोगों ने जबरन प्रवेश करने की कोशिश की। जिसके चलते उनकी पुलिस से कहासुनी हो गई। इसके बाद मामला हाथापाई तक पहुंचा और विपक्ष ने पुलिस पर लाठीचार्ज करने के भी आरोप लगाए। हालांकि, पुलिस का कहना है कि उन्होंने लाठीचार्ज नहीं किया।
कौन है वारकरी भक्त
वारकरी भक्त भगवान विट्ठल (भगवान कृष्ण के एक रूप) के भक्तों को कहा जाता है। वारकरी हिन्दु धर्म की एक परंपरा भी है, जो महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक से जुड़ा है। ‘वारकरी’ शब्द ‘वारी’ से निकला है, जिसका अर्थ होता है यात्रा करना और फेरे लगाना। जो लोग अपने आस्था स्थान की भक्तिपूर्ण तरीके से बार-बार यात्रा करते हैं उन्हें वारकरी कहा जाता है।
अलग ही होती है वेशभूषा
वारकरी भक्तों की वेशभूषा भी अलग तरह की होती है। भक्त धोती, अंगरखा, उपरना तथा टोपी के साथ कंधे पर भगवा रंग का कपड़ा और गले में तुलसी की माला पहनते हैं। कई लोग हाथ में वीणा और हरि का नाम लेते हुए यात्रा करते हैं। वारकरी माथे, गले, छाती और कान पर चंदन भी लगाते हैं।
सरकार और विपक्ष ने क्या कहा
विवाद पर विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि भाजपा और शिंदे की हिंदुत्व सरकार है, इसलिए वारकरों पर लाठीचार्ज किया गया। कल बंदूकों का सामना करने को तैयार रहें।