बंगाली लोगों के बात करने के तरीके से लेकर वेशभूषा तक हर चीज को बारीकी से परखा, ताकि वह तपन दास के किरदार को बखूबी निभा सकें। बांग्ला के उच्चारण के लिए अक्षय ने डायलेक्ट कोच की मदद ली। इस बात की पुष्टि खुद निर्देशक रीमा कागती ने की है। हालांकि कम लोगों को पता होगा कि अक्षय का कोलकाता से नाता रहा है। दरअसल, काम के सिलसिले में अक्षय दो साल तक कोलकाता में रहे थे। यही वजह है कि तपनदास के किरदार को आत्मसात करने में उन्हें खासी मदद मिली। 
अंग्रेजों के खिलाफ मैदान पर मुकाबला की प्रेरणा
उल्लेखनीय है कि फिल्म में अक्षय कुमार हॉकी खिलाड़ी तपन दास के सपने से देश को रूबरू करवाएंगे, जो हॉकी में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीतना चाहते थे। वह लंदन में 1948 के ओलंपिक के लिए टीम को प्रशिक्षित करते हैं, जो अंग्रेजों के खिलाफ मैदान पर मुकाबला करने के लिए सभी एथलीट को प्रेरणा देते हैं। 12 अगस्त, 1948 को इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। दरअसल, उसी दिन भारत ने स्वर्ण पदक जीता था। इस जीत ने देश को गौरवान्वित किया था। फिल्म की शूटिंग ब्रिटेन और भारत में हुई है। उसके माध्यम से पूर्व-स्वतंत्र युग के आकर्षक पहलू से रूबरू करवाया जाएगा।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal