पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस को लेकर के एक बड़ी खबर सामने आई है। इस वायरस पर बारीकी से काम करने वाले वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोरोना वायरस अब इस दुनिया से कभी नहीं जाने वाला है। यह वायरस जीवित प्राणियों के संपर्क में आने से हमेशा अपनी मौजूदगी दर्ज कराता रहेगा। बस जितना हमारा शरीर इस वायरस के खिलाफ मजबूत होता जाएगा, यह वायरस उतना ही कमजोर होता जाएगा। लेकिन वायरस की कमजोरी उसके अस्तित्व को खत्म नहीं करने वाली। बल्कि दुनिया के अन्य वायरसों की तरह अब इसका अस्तित्व भी हमेशा बना रहने वाला है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के वरिष्ठ वैज्ञानिक और कोरोना वायरस पर शुरुआती समय से शोध करने वाले डॉक्टर समीरन पांडा कहते हैं कि इस वायरस का अस्तित्व कोविड-19 के पहले से था और आने वाले समय में भी बना रहेगा। डॉक्टर समीरन पांडा चीन के वुहान में पहला केस रिपोर्ट होने के बाद से ही इस जानलेवा वायरस की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने बताया कि कोई भी वायरस जब तक जीवित प्राणियों के संपर्क में रहेगा, वह अपना अस्तित्व नहीं छोड़ेगा। क्योंकि वायरस को बढ़ाने में जीवित प्राणियों की कोशिकाएं महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा करती हैं। इसलिए कोरोना वायरस के अब समाप्त होने की संभावनाएं ही नहीं हैं। उन्होंने बताया यह वायरस अब हमेशा के लिए हमारे और आपके आसपास मौजूद रहेगा।
डॉक्टर पांडा बताते हैं कि तकरीबन 90 साल पहले इन्फ्लूएंजा वायरस की पहचान हुई थी। तब से लेकर आज तक यह वायरस बार-बार अपने स्वरूप को बदलता रहा और इंसानों से लेकर जानवरों की कोशिकाओं के माध्यम से अपने अस्तित्त्व को बचा कर इंसानी जिंदगियों को क्षति पहुंचाता रहा। लेकिन जब इस बीमारी से बचाव की खोज हुई तो इसका असर कम हुआ, लेकिन वायरस का अस्तित्व आज तक कायम है। इसी तरीके से एक दशक पहले स्वाइन फ्लू ने लोगों की जिंदगियों की रफ्तार रोकनी शुरू कर दी थी। स्वाइन फ्लू के इलाज पर जैसे-जैसे काम होता गया उसी तरीके से वायरस का म्यूटेशन भी होता गया। जितनी दहशत स्वाइन फ्लू को लेकर 2008-09 में थी और उतनी दहशत अब नहीं है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि स्वाइन फ्लू लोगों में नहीं हो रहा है। यह बात अलग है कि स्वाइन फ्लू का वायरस अपना स्वरूप लगातार बदलता जा रहा है। इसी तरीके से आने वाले वक्त में कोविड-19 का भी कुछ ऐसा ही हश्र होने वाला है। जो अपना स्वरूप बदलता रहेगा।
जानलेवा वायरस की मौजूदगी के बाद भी इससे डरने की जरूरत नहीं होगी। डॉक्टर समीरन पांडा बताते हैं, जितना ज्यादा हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम इस वायरस के खिलाफ मजबूत होता जाएगा, उतना ही यह वायरस कमजोर पड़ता जाएगा। वह कहते हैं कि वायरस के कमजोर पड़ने पर हमें बहुत खुश नहीं होना चाहिए। क्योंकि वायरस आपके शरीर की इम्युनिटी के कारण कमजोर हुआ है। जिन लोगों के शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होगा, उन पर वायरस का हमला जानलेवा ही होगा। इसलिए डरने से बेहतर है कि हमें अपने शरीर में इस वायरस के खिलाफ मजबूती लानी होगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने जो कोविड टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू की है उसको अपनाना होगा। जितना ज्यादा से ज्यादा लोग टीका लगबाते जाएंगे उतना ही वायरस का दुष्प्रभाव हमारे शरीर पर कम होता जाएगा।
कोरोना वायरस अगले कई वर्षों तक वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी चुनौती बना रहेगा। क्योंकि जिस तरीके से कोरोना वायरस का म्यूटेशन हो रहा है, वह वैज्ञानिकों के लिए बार-बार बड़ी चुनौती बनता रहेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की कोरोना महामारी को लेकर गठित नेशनल टास्क फोर्स के ऑपरेशनल रिसर्च ग्रुप के मुखिया डॉ एनके अरोड़ा भी मानते हैं कि कोरोना वायरस के म्यूट होने से वैज्ञानिकों को ज्यादा शोध करने के साथ-साथ ज्यादा अलर्ट रहने की भी जरूरत पड़ेगी। डॉक्टर अरोड़ा इस बात को लेकर भी गंभीर हैं कि वायरस के म्यूटेशन से वैक्सीन की प्रभावकारिता भी कम हो सकती है। इसलिए वैज्ञानिकों को न सिर्फ वायरस के म्यूटेशन पर पूरी नजर रखनी होगी, बल्कि बदले हुए वायरस के मुताबिक वैक्सीन को भी देखना होगा। ताकि वायरस के बदले स्वरूप और उसके असर को वैक्सीन से रोका जा सके।
डॉ समीरन पांडा कहते हैं कि हमें अब अपनी जिंदगी में मास्क और सामाजिक दूरी को हिस्सा बनाना ही पड़ेगा। क्योंकि वायरस की मौजूदगी हमारे आसपास हर वक्त बनी रहेगी। इसलिए हम जितना ज्यादा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की कोरोना वायरस बनाई गई गाइडलाइंस का पालन करते रहेंगे, उतना ही हम इससे बचे रहेंगे। इसके साथ-साथ हमें टीका भी लगवाना होगा। डॉक्टर पांडा कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बात ‘दवाई भी और कड़ाई भी’ के माध्यम से कही है, उसी लाइन पर चलते हुए हम कोरोना वायरस से जंग जीत सकते हैं।