कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए दिसंबर से मार्च के बीच कई कंपनियों ने वैक्सीन लाने का दावा किया है। इसी बीच आयुष दवाओं का कोरोना मरीजों पर दूसरे स्टेज का ट्रायल काफी सफल साबित हो रहा है। दूसरे स्टेज के परिणाम का पूरी तरह आकलन कर लेने के बाद जल्दी ही इसके तीसरे स्टेज के ट्रायल के लिए परीक्षण शुरू किया जा सकते हैं। आयुष की रसायन चिकित्सा से मरीजों के इलाज का कुल समय 6 से 8 दिन तक कम करने में मदद मिल रही है, जो फिलहाल 14 से 22 दिन तक है। नतीजों को देखकर आयुष विशेषज्ञ काफी उत्साहित हैं।
आय़ुष मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, दूसरे स्तर के परीक्षण में अब तक हजारों मरीजों पर आयुष दवाओं का बेहतर असर पाया गया है। इनके माध्यम से सामान्य और माइल्ड स्टेज के मरीजों का सफल उपचार हो रहा है, जबकि मॉडरेट कैटेगरी के मरीजों में संंक्रमण का स्तर कमजोर करने में मदद मिल रही है। सुरक्षात्मक स्टेज में आयुष दवाओं का इस्तेमाल पहले ही स्वीकार किया जा चुका है।
कोरोना के इलाज में मरीजों के स्वस्थ होने का औसत समय 14 दिनों तक का पाया गया है। चीन की एक रिपोर्ट के अनुसार यह अवधि 22 दिन तक पाई गई है। लेकिन आयुष की रसायन चिकित्सा का उपयोग करने के बाद यह समय आश्चर्चजनक ढंग से 6-8 दिन के बीच रह गया है। इसे आयुष दवाओं की बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है।
दिल्ली के तिब्बिया कॉलेज और चौधरी ब्रह्मप्रकाश अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज पूरी तरह आयुष की दवाओं से किया जा रहा है। इसके अलावा आठ अन्य अस्पतालों में भी आयुष दवाओं का परीक्षण जारी है। यहां सामान्य, माइल्ड और मॉडरेट स्तर के मरीजों पर दवाओं का इस्तेमाल काफी अच्छा परिणाम दे रहा है। मरीजों का संक्रमण गंभीर स्तर पर होने पर उन्हें अन्य अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है। इसके अलावा यूपी और तमिलनाडु के सभी जिलों में आयुष दवाओं से मरीजों को स्वस्थ किया जा रहा है।
एक्जामिनिंग बॉडी फॉर पैरामेडिकल ट्रेनिंग फॉर भारतीय चिकित्सा, दिल्ली के चेयरमैन डॉ. प्रदीप अग्रवाल ने अमर उजाला को बताया कि कोरोना के इलाज में आयुष दवाओं को एलोपैथी के साथ-साथ इस्तेमाल करने पर बेहतर परिणाम मिले हैं। कोरोना इलाज के बाद भी मरीजों में कई पोस्ट-कोविड जटिलताएं देखी जा रही हैं। लेकिन आयुष के माध्यम से होने वाले रसायन चिकित्सा के बाद पोस्ट-कोविड लक्षणों में बहुत कमी आई है। ये असर आयुष दवाओं की उपयोगिता को साबित करते हैं।