मौजूदा वित्तीय हालात में सरकार के लिए दूसरा वित्तीय पैकेज देना आसान नहीं होगा। बुधवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से राजस्व संबंधी आंकड़े जारी किए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि राजकोषीय घाटे में भारी बढ़ोतरी और राजस्व उगाही में भारी कमी को देखते हुए दूसरे वित्तीय पैकेज के लिए सरकार को विशेष उपाय अपनाने होंगे।
दूसरे वित्तीय पैकेज के लिए सरकार को अपनी संपदा बेंचनी पड़ सकती है
ईएंडवाइ के मुताबिक दूसरे वित्तीय पैकेज के लिए सरकार को अपनी संपदा खासकर जमीन की बिक्री करनी पड़ सकती है। यह जमीन सुरक्षा और गैर सुरक्षा दोनों क्षेत्रों की हो सकती है। ईएंडवाइ के मुताबिक दूसरे वित्तीय पैकेज के लिए सरकार को बाहरी माध्यमों से कर्ज लेना पड़ सकता है। इनमें विदेशी वित्तीय संस्थानों के साथ विदेशी निजी क्षेत्र भी शामिल हो सकते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा- सरकार ने दूसरे वित्तीय पैकेज का विकल्प खुला रखा
मुख्य आर्थिक सलाहकार कोरोना पर काबू पाने के बाद दूसरे वित्तीय पैकेज देने की बात कह चुके हैं ताकि खपत में बढ़ोतरी हो सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी यह कहा है कि सरकार ने दूसरे वित्तीय पैकेज का विकल्प खुला रखा है और जरूरत पड़ने पर यह दिया जा सकता है, लेकिन अब वित्तीय स्थिति को देखते हुए दूसरे वित्तीय पैकेज को लेकर विशेषज्ञों को संशय पैदा हो रहा है। पहला वित्तीय पैकेज 21 लाख करोड़ का था।
कोरोना संक्रमण के चलते 8.7 लाख करोड़ का राजकोषीय घाटा हो चुका
सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी का 3.5 फीसद रखा था, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में 8.7 लाख करोड़ का राजकोषीय घाटा हो चुका है जो कि चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में तय राजकोषीय घाटे का 109.3 फीसद है।
पांच महीनों में 30 फीसद कम हुई राजस्व की प्राप्ति
सरकार को पहले पांच महीनों में टैक्स के रूप में जो राजस्व की प्राप्ति हुई है, वह भी पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 30 फीसद कम है। विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा वित्तीय हालात को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 8 फीसद तक जा सकता है। गत 8 मई को चालू वित्त वर्ष में 12 लाख करोड़ रुपए के कर्ज लेने का लक्ष्य रखा था जो कि जीडीपी का 5.9 फीसद है।
मोदी सरकार चालू वित्त वर्ष में नहीं लेगी 12 लाख करोड़ से अधिक कर्ज
बुधवार को वित्त मंत्रालय की तरफ से यह साफ कर दिया गया कि सरकार चालू वित्त वर्ष में 12 लाख करोड़ से अधिक कर्ज नहीं लेगी। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि देश की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार को अतिरिक्त उधारी के लिए जगह बना कर रखनी होगी।