दक्षिण कोरिया के एंटीट्रस्ट नियामक ने मंगलवार को कहा कि उसने मोबाइल आपरेटिंग सिस्टम और एप मार्केट में बाजार के प्रभुत्व के कथित दुरुपयोग के लिए दिग्गज कंपनी गूगल पर 207.4 बिलियन वोन (17.68 करोड़ डालर) का जुर्माना लगाने का फैसला किया है। भारतीय मुद्रा में यह राशि करीब 13.02 अरब रुपये के बराबर है। वहीं इसपर गूगल ने आपत्ति जताई है और कहा है कि इस जुर्माने को वह चुनौती देगा। गूगल ने दक्षिण कोरिया पर मानहानि का आरोप लगाया है।
गूगल का आरोप है कि दक्षिण कोरिया ने इस बात को नजरअंदाज किया है कि कैसे उसकी साफ्टवेयर नीति हार्डवेयर भागीदारों और उपभोक्ताओं को फायदा पहुंचा रही है। इस बीच, दक्षिण कोरिया ने संशोधित दूरसंचार कानून का प्रवर्तन शुरू कर दिया है। यह कानून ऐप बाजार परिचालकों मसलन गूगल और एपल को इन-ऐप खरीद प्रणाली के लिए प्रयोगकर्ताओं से भुगतान लेने को रोकता है। दक्षिण कोरिया इस तरह के नियमनों को अपनाने वाला पहला देश है।
गूगल पर आरोप
उल्लेखनीय है कोरिया फेयर ट्रेड कमीशन (केएफटीसी) 2016 से गूगल पर लग रहे आरोपों को लेकर जांच कर रहा है। गूगल पर आरोप है कि उसने सैमसंग जैसे स्थानीय स्मार्टफोन निर्माताओं को प्रतिद्वंद्वियों द्वारा विकसित आपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करने से रोका था। नियामक के अनुसार गूगल ने बाजार में प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने के लिए स्मार्टफोन निर्माताओं को अपने साथ अनुबंध के दौरान दबाव बनाकर एंटी फ्रैग्मेंटेशन एग्रीमेंट (एएफए) के लिए मजबूर किया।
गूगल कोरिया को सुधारात्मक कदम उठाने का भी आदेश
एएफए के तहत मोबाइल निर्माताओं को माडीफाइड एंड्रायड आपरेटिंग सिस्टम, जिन्हें एंड्रायड फोर्क्स के नाम से भी जाना जाता है को इंस्टाल करने की इजाजत नहीं है। उन्हें अपना एंड्रायड फोर्क्स विकसित करने की भी अनुमति नहीं है। नियामक के अनुसार गूगल के इस हथकंडे से जहां उसकी बाजार में पैठ मजबूत हुई वहीं स्मार्ट उपकरणों के लिए नए आपरेटिंग सिस्टम के विकास का नवाचार नहीं हो सका। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार केएफटीसी ने जुर्माने के अलावा गूगल एलएलसी, गूगल एशिया पैसिफिक और गूगल कोरिया को सुधारात्मक कदम उठाने का भी आदेश दिया है।