नई दिल्ली क्रिकेट में एक कहावत है, ‘पकड़ो कैच जीतो मैच’ लेकिन फिर भी मैच में कैच छूटना बड़ी बात नहीं है।
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भारत ने 2003-2009 के बीच 24.6 फीसदी कैच छोड़े। वहीं 2010-2015 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 27.2 फीसदी हो गया। न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया सबसे कम कैच छोड़ती हैं।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, वीरेंद्र सहवाग सबसे ज्यादा लकी रहे। उनके 68 कैच छोड़े गए। उनके बाद श्रीलंका के कुमार संगकारा का नाम आता है जिनके 67 कैच छूटे। कैच छोड़ना कई बार महंगा भी पड़ा है। 2002 में इंजमाम उल हक ने 32 रन पर जीवनदान मिलने के बाद 329 रन बना दिए थे। इसी तरह मार्क टेलर ने 18 व 27 रन कैच छूटने के बाद नाबाद 334, शून्य पर बचने के बाद कुमार संगकारा ने 270 और सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 248 रन की पारियां खेली।
डेविस के डाटा के मुताबिक, सबसे ज्यादा मौके स्पिनर्स की गेंदों पर छोड़े गए। स्पिनर्स के 27 फीसदी मौके छोड़ दिए गए। सबसे ज्यादा हरभजन सिंह की गेंदों पर कैच व स्टंप मिस किए गए। उनकी गेंदों पर 99 मौके छोड़े गए। इनमें उनके शुरुआती कॅरियर का डाटा नहीं जोड़ा गया है। वहीं तेज गेंदबाजों में जेम्स एंडरसन की गेंदों पर मौके गंवाए गए।
कैच छोड़ने में खुद गेंदबाज सबसे आगे हैं। दुनिया भर के गेंदबाजों ने अपनी ही गेंदों पर कैच के 47 फीसदी मौके गंवा दिए। वहीं, सबसे ज्यादा कैच शॉर्ट लेग पर छूटते हैं। इस जगह पर 38 फीसदी कैच टपकाए गए हैं। गली और फाइन लेग पर 30-30 फीसदी कैच छूटे हैं। साल 2005 में जहीर खान की गेंदों पर भारतीय फील्डर्स ने जिम्बाब्वे के बल्लेबाज एंडी बिलग्नॉट के लगातार तीन कैच छोड़े थे। रिपोर्ट तैयार करने के पीरियड में यह इकलौता मौका है जब किसी बैट्समैन का हैट्रिक कैच छूटा। बिलग्नॉट ने उस पारी में 84 रन बनाए थे और उनके कुल पांच कैच छूटे थे।