IS के नए तरीके ‘डू इट योरसेल्फ’ का मॉड्यूल था सैफुल्लाह!

अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ ही भारत में बढ़ती सुरक्षा चौकसी को देखते हुए आईएसआईएस और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने पैंतरा बदल लिया है. सुरक्षा एजेंसियों के रडार से बचने के लिए इन्होंने ‘भर्ती’ प्रक्रिया में तेजी से बदलाव करते हुए, उसे ‘डू इट योरसेल्फ’ का रूप दे दिया है.IS के नए तरीके ‘डू इट योरसेल्फ’ का मॉड्यूल था सैफुल्लाह!

इसके तहत जो भी जेहाद से जुड़ना चाहता है, उसे पहले अपने दम पर कुछ कर दिखाना होगा. इस दौरान सिर्फ आॅनलाइन सपोर्ट (जेहाद से जुड़े साहित्य, बम बनाने का तरीका, जेहाद से और युवाओं को जोड़ने का तरीका आदि) ही उन्हें दिया जाता है.

जब वह कोई बड़ा धमाका, या आतंकी वारदात करने में सफल होता है, तब उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए बुलाया जाता है. लेकिन यहां भी उसे अपने खर्च पर ही आतंकी संगठन से संपर्क करना होता है.

राजधानी लखनऊ में इनकाउंटर में मारे गए संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह और कानपुर से गिरफ्तार मोहम्मद फैजल खान व इटावा से गिरफ्तार फखरे आलम उर्फ रिशु के बारे में यूपी पुलिस की जांच भी इसी ‘डू इट योरसेल्फ’ की मोडस आॅपरेंडी की तस्दीक कर रही है.

खुद एडीजी कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी का कहना है कि ये अपने पास से पैसे जुटाकर बम आदि बनाने की कोशिश कर रहे थे. अभी तक ये किसी बड़ी घटना को अंजाम देने में सफल नहीं हो सकते थे. जो बम आदि भी इन्होंने बनाए वह भी कम तीव्रता के हैं.

उन्होंने बताया कि ये स्वघोषित कट्टरपंथी हैं, जिनका झुकाव आईएस की तरफ था. इनका अभी तक आईएस से सीधे कोई लिंक के ​सबूत नहीं मिले हैं.

यूपी एटीएस के एक अफसर के अनुसार आतंकी संगठन ‘डू इट योरसेल्फ’ का तरीका कुछ सालों से इसलिए अपनाने लगे हैं क्योंकि इसमें उनके कई फायदे हैं. पहला तो यह है कि इसमें उनकी तरफ से जरा भी खर्च नहीं होता.

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दूसरा अहम कारण ये है कि इन लड़कों को अगर सुरक्षा एजेंसियां गिरफ्तार भी कर लेती हैं तो यह पल्ला झाड़ लेते हैं. क्योंकि सीधे तौर पर इन संगठनों से इन लड़कों का लिंक साबित करना लगभग नामुमकिन ही है.

पिछले साल दिल्ली, गाजियाबाद और देवबंद से गिरफ्तार तीन संदिग्ध आतंकियों साजिद, समीर और शाकिर से सुरक्षा एजेंसियों को ‘डू इट योरसेल्फ’ मोडस आॅपरेंडी की जानकारियां मिलीं.

इसी क्रम में साजिद, समीर और शाकिर से पता चला कि ये आतंक के आकाओं के वीडियो आदि देखकर प्रभावित हुए. इस दौरान साजिद ने मुजफ्फरनगर के राहत शिविरों का भी दौरा किया. उसके बाद उसने लश्कर से सपंर्क करने की कोशिश की. इस दौरान वह तलहा नाम के शख्स के संपर्क में आया, जो जैश-ए-मोहम्मद के मसूद अजहर का भाई बताया जाता है.

साजिद ने उससे मुलाकात करने अैर प्रशिक्षण की इच्छा जाहिर की. इस पर जवाब मिला डू इट योर सेल्फ. साजिद को बताया गया कि पहले वह अपने स्तर पर तलवारें, चाकू और ​पिस्टल आदि हथियार जुटाए. लोगों को भी हथियार आदि इकट्ठा करने की प्रेरणा दे.

इस दौरान बम बनाने का तरीका उसे एक वेब लिंक से भेजा गया. उसे कहा गया कि अगर वह प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तन आना चाहता है तो वह अपने खर्च पर पहुंचे, यहां आने के बाद उससे संपर्क कर लिया जाएगा.

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