एक नाई ने अपने पड़ोसी पर मुकदमा चला रखा था। नाई को ऐसा लगा कि उसे मुकदमे में कामयाबी नहीं मिलेगी। उसने अपने वकील से कहा- वकील साहब, मुझे डर लग रहा है, कहीं मुकदमे में हार न हो जाए! इसलिए मैं जज साहब को 100 रुपए नजराना भेजना चाहता हूं।
वकील ने बिगड़कर कहा- अगर तुमने ऐसा किया तो मुकदमे में जरूर हार जाओगे। जज साहब तुम्हें कभी क्षमा नहीं करेंगे।
आखिर, नाई मुकदमा जीत गया।
उसने वकील साहब से कहा- वकील साहब, आपने तो मना किया था, पर मैंने नजराना भेज दिया था।
वकील साहब ने बड़े आश्चर्य से कहा- क्या कहा? नजराना भेज दिया था।
नाई ने जवाब दिया- हां, नजराना भेज दिया था, पर अपने नाम से नहीं, मुकदमे के नाम से।