केंद्र से मिली मंजरी, तो सुधरेंगे कोटद्वार-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के दिन
केंद्र से मिली मंजरी, तो सुधरेंगे कोटद्वार-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के दिन

केंद्र से मिली मंजरी, तो सुधरेंगे कोटद्वार-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के दिन

कोटद्वार: केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रलय की अनुमति मिलने के बाद कोटद्वार-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के दिन बहुर जाएंगे। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 543 के अंतर्गत कोटद्वार से श्रीनगर के मध्य करीब 150 किलोमीटर हिस्से को ऑलवेदर रोड की तर्ज पर विकसित करते हुए डबल लेन किए जाने का प्रस्ताव केंद्र में भेजा गया है, लेकिन मामला वन भूमि हस्तांतरण पर अटक गया। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद इस मार्ग को डबल लेन किए जाने का कार्य शुरू हो पाएगा।केंद्र से मिली मंजरी, तो सुधरेंगे कोटद्वार-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के दिन

चारधाम यात्र को कोटद्वार से शुरू किए जाने की कवायद के चलते कोटद्वार-श्रीनगर मोटर मार्ग को डबल लेन करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। वर्तमान में कोटद्वार-पौड़ी-श्रीनगर मोटर मार्ग की बदहाल स्थिति होने के कारण चारधाम यात्र ऋषिकेश से शुरु होती है। अगर कोटद्वार-पौड़ी-श्रीनगर सड़क दुरुस्त हो जाती है तो इससे यात्रियों को सहूलियत मिलेगी व इस मार्ग को चारधाम यात्र मार्ग के रूप से ज्यादा श्रद्धालु प्रयोग कर सकेंगे।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान चार धाम यात्रियों को कोटद्वार की ओर से ही गंतव्य के लिए वापस भेजा गया था। इसी दौरान इस मार्ग को चार धाम यात्र का वैकल्पिक मार्ग बनाए जाने की बात भी सामने आई थी।राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के अधिशासी अभियंता नरेंद्र सिंह के राष्ट्रीय राजमार्ग को डबल लेन किया जाना है। इसके लिए केंद्र में प्रस्ताव भेजा गया है। वन भूमि हस्तांतरण के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

1500 करोड़ में कोटद्वार-श्रीनगर मोटर मार्ग बनेगा डबल लेन

कोटद्वार-श्रीनगर मोटर मार्ग को डबल लेन किए जाने में करीब 1500 करोड़ की लागत आएगी। सड़क न सिर्फ डबल लेन होगी, बल्कि मोड़ों को भी चौड़ा किया जाएगा। वर्तमान में यह मार्ग कोटद्वार से सतपुली के मध्य डेढ़ लेन है, जबकि सतपुली से पौड़ी के मध्य कुछ स्थानों पर डबल लेन है। पौड़ी से श्रीनगर के मध्य मार्ग पूरी तरह सिंगल लेन है। कोटद्वार-श्रीनगर मोटर मार्ग को डबल लेन किए जाने का प्रस्ताव केंद्र में भेजा गया है, लेकिन अभी वन भूमि हस्तांतरण का पेंच मार्ग के चौड़ीकरण की राह में बाधा बना हुआ है। इस मार्ग का करीब 85 फीसद हिस्सा वन क्षेत्र में पड़ेगा।

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