केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव बोले- इकोसेंसिटिव जोन के लिए बनाई जाए योजना

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि इकोसेंसिटिव जोन में अवैध आवास और खनन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा अवैध आवास और खनन की वजह से हमें नुकसान उठाना पड़ा है। हमने पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (Ecosensitive Zone) के लिए एक समिति बनाई है। लंबे समय से राज्य सरकार समिति से बच रही है जो उन्हें नहीं करना चाहिए।

केरल के वायनाड भूस्खलन त्रासदी के बाद खोज और बचाव अभियान लगातार सातवें दिन जारी है। भूस्खलन के बाद से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हादसे में मरने वालों की संख्या 387 हो गई हैऔर 180 लोग अभी भी लापता हैं।

इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्य की पिनाराई विजयन सरकार पर अवैध खनन और अवैध संरक्षण को शह देने का आरोप लगाते हुए हमला किया। उन्होंने कहा कि केरल सरकार को इकोसेंसिटिव जोन के लिए योजना बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केरल सरकार के संरक्षण में अवैध मानव निवास और अवैध खनन चल रहा है।

मंत्री ने पिनाराई विजयन सरकार को घेरा
मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्य की पिनाराई विजयन सरकार पर अवैध खनन और अवैध संरक्षण को शह देने का आरोप लगाते हुए हमला किया। उन्होंने कहा, “यह स्थानीय नेताओं द्वारा लोगों को रहने के लिए अवैध संरक्षण है। यहां तक ​​कि पर्यटन के नाम पर भी वे उचित क्षेत्र नहीं बना रहे हैं। उन्होंने इस क्षेत्र पर अतिक्रमण की परमिशन दी है। यह एक अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र है।”

संरक्षण में अवैध खनन गतिविधि चल रही है
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने आगे कहा, “हमने पहले ही पूर्व वन महानिदेशक संजय कुमार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। उन्होंने केरल सरकार के साथ पत्राचार भी किया है। हमें लगता है कि यह राज्य सरकार की गलती है। स्थानीय सरकार के संरक्षण में अवैध मानव निवास और अवैध खनन गतिविधि चल रही है।”

सरकार इकोसेंसिटिव जोन के लिए योजना बनाए
उन्होंने कहा, “राज्य सरकार को इकोसेंसिटिव जोन के लिए योजना बनानी चाहिए। केरल सरकार को पूर्व वन महानिदेशक संजय कुमार की अध्यक्षता वाली समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए।”

अवैध आवास और खनन नहीं किया जाना चाहिए
भूपेंद्र यादव ने कहा कि इकोसेंसिटिव जोन में अवैध आवास और खनन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “अवैध आवास और खनन की वजह से हमें नुकसान उठाना पड़ा है। हमने पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (Ecosensitive Zone) के लिए एक समिति बनाई है। लंबे समय से राज्य सरकार समिति से बच रही है, जो उन्हें नहीं करना चाहिए।”

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