केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को आरोप लगाया कि इतिहासकारों ने भारत का इतिहास गलत तरीके से लिखा है। साथ ही उन्होंने इसके फिर से लिखने की जरूरत पर बल दिया। अमित शाह ने कहा भारतीय संदर्भ में इतिहास को फिर से लिखने की अपील इतिहासकारों से की है। उन्हें सरकार की तरफ से इस काम के लिए समर्थन का भी आश्वासन दिया है। अमित शाह ने दिल्ली में असम सरकार के एक समारोह में कहा, “मैं इतिहास का छात्र हूं और मैंने कई बार सुना है कि हमारे इतिहास को ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया है और विकृत किया गया है। शायद यह सही है, लेकिन अब हमें इसे ठीक करने की जरूरत है।”
अमित शाह ने कहा कि ‘तोड़-मरोड़’ कर पेश किए गए इतिहास को सुधारकर उसे फिर से लिखने से कोई नहीं रोक सकता है और इतिहासकारों तथा छात्रों को भारत के विभिन्न हिस्सों में 150 साल से ज्यादा शासन करने वाले 30 साम्राज्यों और देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाली 300 से अधिक विभूतियों पर शोध कर सच्चा इतिहास लिखना चाहिए। गृह मंत्री ने कहा, ”अगर लचित बोड़फूकन ना होते तो पूर्वोत्तर भारत का हिस्सा ना होता क्योंकि उस वक्त उनके द्वारा लिए गए निर्णयों और उनके साहस ने न केवल पूर्वोत्तर बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को धर्मांध आक्रांताओं से बचाया।”
उन्होंने कहा, ”मुझे अकसर शिकायतें मिलती हैं कि हमारे इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया है, उसके साथ छेड़छाड़ की गई है। यह आरोप सच भी हो सकते हैं। लेकिन उन्हें सुधारने से कौन रोक रहा है? अब हमें सच्चा इतिहास लिखने से कौन रोक सकता है?” शाह ने इतिहासकारों और छात्रों से कहा कि उन्हें भारत के विभिन्न हिस्सों में 150 साल से ज्यादा शासन करने वाले 30 साम्राज्यों और देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाली 300 से अधिक विभूतियों पर शोध करना चाहिए। उन्होंने कहा, ”इससे नया और सही इतिहास सामने आएगा और असत्य अपने आप इतिहास से अलग हो जाएगा।”
उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता के इतिहास के नायकों के बलिदान और साहस को देश के कोने- कोने में पहुंचाने से हमारी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी। शाह ने कहा कि जिस देश की जनता को अपने इतिहास पर गौरव होने का बोध ना हो, वो अपना सुनहरा भविष्य कभी नहीं बना सकती। उन्होंने कहा कि अगर देश का स्वर्णिम भविष्य बनाना है तो देश के इतिहास पर गौरव होना बहुत ज़रूरी है।