एजेंसी/उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से रोजगार की तलाश में दिल्ली पहुंचे गोवर्धन यादव और उनकी पत्नी कृष्णा यादव कभी खेतों में सब्जी उगाकर फुटपाथ पर बेचा करते थे। लेकिन कृष्णा यादव के हुनर आज उन्हें एक फैक्ट्री की मालकिन बना दिया है।
महिला सशक्तिकरण बात करें कृष्णा यादव उन महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने अपने हुनर के दम पर मुश्किल हालातों से ऊपर उठकर दूसरों के लिए मिशाल कायम की। उनकी मेहनत और लगन के लिए उन्हें अब तक कई अवार्ड मिल चुके हैं।
खुद एक मजदूर की तरह काम करने वाली कृष्णा यादव की सोच ने किस तरह से उन्हें 400 से ज्यादा महिलाओं को काम देने वाली फैक्ट्री की मालकिन बना दिया यह किस्सा भी बेहद रोचक है।कृष्णा यादव के पति गोवर्धन यादव ने बताया कि वह 1988 में दिल्ली वे रोजगार की तलाश में दिल्ली आए थे। कुछ खास काम नहीं मिलने के कारण उन्होंने दिल्ली के नजफगढ़ इलाके में एक जमीदार के यहां कुछ खेत बटाई पर लेकर सब्जी उगाने का काम शुरू किया।
उन्हें खेतों में उगाई गई सब्जी को संरक्षित करने के बारे में कोई तकनीकी ज्ञान नहीं था जिससे बची हुई सब्जी खराब हो जाती थी। अगर सब्जी बिकती भी थी तो लोग एक किलो सब्जी के लिए रुपए देने को भी तैयार नहीं होते थे। इससे उन्हें सब्जी बेचकर पेट चलाना मुश्किल हो गया।
चूंकि कृष्णा यादव पहले से ही बढ़िया आचार बनाना जानती थीं तो उन्होंने आचार बनाकर सब्जी के साथ आचार भी बेचना शुरू किया। इसी बीच खेत के मालिक ने कृष्णा यादव को जानकारी दी कि कृषि विज्ञान केंद्र शिकोहपुर में सरकार की तरफ से महिलाओं को आचार बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही तो उन्होंने वहां से आचार बनाने की ट्रेनिंग ली।
कृष्णा यादव पहले आम, नीबू और आमले का ही आचार बनाने जानती थीं लेकिन ट्रेनिंग से उन्होंने हर तरह की सब्जी का आचार बनाना सीख लिया। इसका फायदा यह हुआ कि खेतों में उगाई जाने वाली सब्जी अगर सही दाम पर नहीं बिकती तो वह उसे सुखाकर उसका आचार बनाने लगीं।
इस तरह जब उन्होंने देखा किया सब्जी से कई गुना ज्यादा फायदा आचार बनाने में है तो उन्होंने सब्जी बेचना बंद कर सिर्फ आचार का काम करने लगे। धंधा थोड़ी आगे बढ़ा तो कृष्णा यादव ने पड़ोस की महिलाओं को साथ लेकर ज्यादा मात्रा में आचार बनाना शुरू और फिर इस तरह से इनका काम एक फैक्ट्री का रूप ले ले लिया।
कृष्णा यादव बताती हैं कि गुड़गांव के बजघेड़ा गांव में स्थिति उनकी फैक्ट्री में 80 महिलाएं काम करती हैं जबकि करीब 400 महिलाएं अपने घरों से काम करती हैं।
कृष्णा यादव ने बताया वह अब दिल्ली के पूसा संस्थान गुड़गांव जिले के कृषि एवं बागवानी विभाग की मदद से दूर-दूर से आई महिलाओं को ट्रेनिंग भी देती हैं। कृष्णा यादव ने कहा कि आचार बनाने का काम काफी आसान होता है इसे कोई भी महिला अपने घर से कर सकती है।
2014 में हरियाणा सरकार ने कृष्णा यादव को इनोवेटिव आइडिया के लिए राज्य की पहली चैंपियन किसान महिला अवार्ड से सम्मानित किया था।
इससे पहले उन्हें सितंबर 2013 में वाइब्रंट गुजरात सम्मेलन में उस वक्त वहां के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी उन्हें किसान सम्मान के रूप में 51 हजार रुपए का चेक दिया था।
इस पहले 2010 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने भी एक कार्यक्रम के तहत कृष्णा यादव को बुलाकर उनकी सफलता की कहानी सुनी थी।