इसके 24 घंटे बाद भारत की तरफ से लगाए गए आरोप निराधार, अफसोसनाक और उम्मीद के विपरीत हैं। इनसे माहौल खराब होता है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि मानवीय आधार पर हुई यह मुलाकात किसी मां बेटे या पति पत्नी के बीच हुई सामान्य मुलाकात नहीं थी। असलियत यही है कि कमांडर जाधव दोषी करार दिए गए भारतीय चरमपंथी और जासूस हैं जो पाकिस्तान में कई मौतों और तबाही के लिए जिम्मेदार हैं।
कमांडर जाधव की पत्नी के जूते सुरक्षा जांच में पास नहीं हुए इसलिए उन्हें रख लिया गया। यह बात मेहमानों और भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर को बताई भी गई थी जिन्होंने उस वक्त इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। सुरक्षा वजहों के चलते ही मुलाकात के दौरान मराठी बोलने से मना किया गया। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने आराम से 40 मिनट अंग्रेजी में बात की जिसे रिकॉर्ड किया गया (भारत को पहले ही बता दिया गया था कि बातचीत रिकॉर्ड की जाएगी)।
जाधव की मां को हिंदी या मराठी में एक छोटी सी प्रार्थना करने की इजाजत भी दी गई थी। एयरपोर्ट पर भी तो रूटीन सुरक्षा जांच में ईसाइयों के क्रॉस और मुसलमानों के हिजाब उतरवा लिए जाते हैं।
ऐसे में जिस सुरक्षा जांच पर पहले से रजामंदी हो गई थी, उसे इरादतन किसी धर्म या संस्कृति का अपमान करने की कोशिश के तौर पर पेश करना बदनीयती दिखाता है और अफसोसनाक है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस का प्रस्ताव भी दिया था
मेहमान मीडिया से खुलकर बात कर सकें इसके लिए पाकिस्तान ने तो विदेश मंत्रालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कराने का भी औपचारिक प्रस्ताव दिया था जिसमें भारतीय मीडिया भी शामिल हो सके। पाकिस्तानी मीडिया को तो इसकी पहले से ही सूचना दे दी गई थी। लेकिन भारत ने इसे लिखित में नामंजूर कर दिया। भारत की इच्छाओं का सम्मान करते हुए ये बातचीत नहीं की गई।
लेकिन मीडिया को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को ध्यान में रखते हुए एक सुरक्षित दूरी से सवाल पूछने का हक था लेकिन दूरी कितनी होगी, इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया था। मीडिया के कुछ हलकों में इस हवाले से आ रही खबरें गलत हैं। भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने 24 दिसंबर को विदेश मंत्रालय का दौरा भी किया और वे इससे सहमत थे।”
पाकिस्तान ने न केवल उनकी पत्नी की बल्कि उनकी मां की भी बिंदी और मंगलसूत्र उतरवा लिए। मैंने इस बारे में कुलभूषण जाधव की मां से बात की है। कुलभूषण ने इस अवस्था में मां को देखा तो पूछा कि बाबा कैसे हैं। उन्हें लगा कि उनकी गैरमौजूदगी में कोई दुर्घटना तो नहीं हुई।
कुलभूषण जाधव की पत्नी के बार-बार आग्रह करने के बावजूद उनके जूते नहीं लौटाए गए। पाकिस्तानी मीडिया में कहा जा रहा है कि उनके जूतों में कैमरा या रिकॉर्डर था। इससे ज्यादा गलत बात कुछ भी नहीं हो सकती है। इन्हीं जूतों में वो दो फ्लाइट्स में सफर कर चुकी थीं।
इसमें मानवतावादी जेस्चर जैसा कुछ नहीं है। परिवार के लोगों के मानवाधिकार का बार-बार उल्लंघन किया गया। उनके लिए एक डर का माहौल बना दिया गया। कुलभूषण जाधव की मां केवल साड़ी पहनती हैं। उन्हें सलवार सूट पहनने के लिए मजबूर किया गया। मां और पत्नी दोनों की बिंदी, चूड़ियां और मंगलसूत्र हटवाये गए। दोनों शादीशुदा महिलाओं को विधवा जैसा दिखने के लिए मजबूर किया गया।