हिंदू धर्म में पूजा पाठ आदि धार्मिक कार्यों में कुमकुम का इस्तेमाल होता हैं और कुमकुम को बहुत ही शुभ और पवित्र भी मानते हैं. इसी के साथ आप जानते होंगे कि यह केवल पूजा में ही नहीं बल्कि अन्य मांगलिक कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता हैं. इसी के साथ शक्ति की साधना में कुमकुम का विशेष प्रयोग किया जाता हैं और पूजा की थाली में खास तौर पर रखा जाने वाले कुमकुम का न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी हैं.
अब आइए आज हम आपको बताते हैं कुमकुम के कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में. पूजा में प्रयोग किए जाने वाले कुमकुम को एक तरह की औषधि भी माना जाता हैं जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद में त्वचा संबंधी विकारों को दूर करने के लिए होता हैं. इसी के साथ माथे पर लगाए जाने वाले कुमकुम के प्रयोग से न केवल सौंदर्य निखरता हैं बल्कि इसमें मन की एकाग्रता भी बढ़ जाती हैं. महिलाए अपने सोलह श्रृंगार में भी इसे शामिल करती हैं और इसका संबंध सिर्फ उनकी सुंदरता से ही नहीं बल्कि घर की सुख और समृद्धि से भी जुड़ा हुआ है.
सौभाग्य को बढ़ाने वाले इन सोलह श्रृंगार में कुमकुम का बहुत ही महत्व होता हैं और सुहगिन महिलाओं द्वारा कुमकुम या फिर सिंदूर से अपने ललाट पर लाल बिंदी लगाना अत्यंत शुभ मानते हैं. किसी भी पूजा में कुमकुम का विशेष महत्व इसलिए भी होता हैं क्योंकि शक्ति की साधना में कुमकुम को अनंत कांति प्रदान करने वाला पवित्र पदार्थ माना जाता हैं वही जो महिलाएं की सभी कामनाओं को पूरा कर देता है. इसी के साथ कुमकुम का लाल रंग शुभ्ता, उत्साह, उमंग और साहस का प्रतीक होता है.