इलाहाबाद। कुंभ पर्व पर प्रयाग में श्रद्धालुओं को दुर्लभ 12 (द्वादश) माधव के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। इसी क्रम में माधव के जीर्ण-शीर्ण मंदिरों का जीर्णोद्धार होगा और वहां अतिक्रमण हटाने की मुहिम शुरू की जाएगी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की मांग पर अक्टूबर माह तक सारे माधव मंदिरों का स्वरूप व मार्ग दुरुस्त करा दिया जाएगा।
परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि लंबे समय से द्वादश माधव परिक्रमा शुरू कराने की आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इन मंदिरों को भव्य स्वरूप देने की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने उनकी मांग को गंभीरता से लेते हुए मंदिरों को भव्य स्वरूप देने का निर्देश दिया है। प्रयाग का धार्मिक महत्व पवित्र नदियां गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती की मिलन स्थली संगम के साथ माधव का वास बढ़ाता है। माधव प्रयाग के प्रधान देवता हैं।
दुनिया में यही पवित्र क्षेत्र है, जहां माधव के 12 स्वरूपों के दर्शन का सौभाग्य मिलता है। मान्यता है कि परमपिता ब्रह्मा ने सृष्टि रचना से पूर्व ईष्टदेव के रूप में माधव की स्थापना की थी। मुगलकाल में इन मंदिरों को नष्ट किया गया, बाद में लोगों ने कब्जा कर लिया। मंडलायुक्त डॉ. आशीष गोयल का कहना है कि माधव मंदिरों के जीर्णोद्धार व मार्ग को अतिक्रमण मुक्त करने का काम जल्द आरंभ होगा।
तीन क्षेत्रों में माधव
प्रयाग में गंगा-यमुना के साथ, गंगा के पूर्व का भाग प्रतिष्ठानपुर (झूंसी) यमुना के दक्षिण का भाग अलर्क (अरैल) में माधव विराजमान हैं। माधव शब्द ब्रह्मस्वरूप मूल प्रकृति का वाचक है जो सम्पूर्ण सृष्टिकत्र्ता है। यही ईश्वरी-नारायणी सनातनी विष्णुमाया शब्द से विख्यात है। दारागंज वेणी (त्रिवेणी) तट पर वेणी माधव विद्यमान हैं।
यह प्रयाग के नगर देवता हैं। अक्षयवट माधव का दर्शन गंगा-यमुना के मध्य से होता है। अनंत माधव का वास दारागंज मुहल्ले में है। यह पहले वरुण आश्रम था। यह भगवान विष्णु की पांचवी पीठ मानी जाती है। शहर के ईशान कोण में स्थित नागवासुकी मंदिर के पास असि माधव वास करते हैं और जानसेनगंज मुहल्ले में मनोहर माधव का मंदिर है। शहर के वायव्य कोण में द्रौपदी घाट के पास बिंदु माधव का निवास माना जाता है। संगम के मध्य में जल रूप में श्रीआदि माधव के वास की मान्यता है।
प्रयाग के अग्नि कोण अरैल में स्थित हैं चक्र माधव, यह सोमेश्वर मंदिर के पास है। यमुना पार में छिवकी स्टेशन के पास श्री गदा माधव का प्राचीन मंदिर है। घूरपुर से आगे भीटा की ओर जाने वाले मार्ग पर वीकर देवरिया ग्राम में स्थित हैं पद्म माधव। झूंसी में गंगातट पर स्थित वटवृक्ष में संकटहर माधव का वास है। छतनाग में मुंशी का बगीचा शंख माधव का स्थल माना जाता है।