सयुंक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर खाप नेताओं को किसानों के आंदोलन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए बधाई देता है। केंद्रीय मंत्रियों से तब तक मिलने से इनकार करते रहे जब तक कि वे सरकार में अपने पदों से इस्तीफा न दें। कई गांवों से आई रिपोर्ट से संकेत मिले हैं कि संजीव बालियन पश्चिमी उत्तर में खाप नेताओं से नहीं मिल सका।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की ओर से दिए बयान को किसानों के संघर्ष का अपमान बताया। भीड़ इकट्ठा कर कानून वापस नहीं लिए जाते। मोर्चा ने सरकार को बताया कि इस बयान से लोगों के मन में सरकार के प्रति गहरा असंतोष है।
संयुक्त किसान मोर्चा के डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि प्रदर्शनकारी भीड़ नहीं अन्नदाता हैं। उनकी मेहनत से लोग भोजन कर रहे हैं। आरोप लगाते हुए कहा कि इसी भीड़ के वोट से आप सरकार चला रहे हैं, यह जनता का अपमान है और निंदनीय है। सरकार के लिए यह आंदोलन सरदर्द बना हुआ है, इसलिए समर्थन देने वालों को निशाना बनाकर परेशान किया जा रहा है। दिशा रवि सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता निशाने पर हैं। किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए देशभर के किसान लामबंद हो रहे हैं। कार्यकर्ताओं को इसके बाद दिल्ली जाने के लिए अन्य वैकल्पिक साधन खोजने पड़े।
हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के 87 कृषि संगठनों ने भी भारत में आंदोलनरत किसानों को अपना समर्थन दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह अमेरिकी सरकार की नीतियों (विशेष रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने भारतीय किसानों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है। ऑस्ट्रेलिया में भी एक रैली आयोजित की गई जिसमें सयुंक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने ऑनलाइन संबोधित किया।