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इस पर आलाकमान की ओर से जल्द ही सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन मिला है। केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान भी सरकार और संगठन के वरिष्ठ नेताओं को गेहूं से आयात शुल्क हटाने से किसानों में पनप रहे आक्रोश से अवगत करा चुके हैं।
सूत्र बताते हैं कि सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने बालियान और पार्टी सांसदों को यह कहते हुए संतुष्ट कराया है कि किसी भी सूरत में वह विदेश से गेंहू का आयात नहीं होने देंगे। बताया जा रहा है कि बृहस्पतिवार शाम को केंद्रीय राज्यमंत्री निरंजन ज्योति के निवास पर पश्चिमी यूपी के सांसदों के साथ हुई शाह की समीक्षा बैठक में कैराना से सांसद हुकूम सिंह, मेरठ से सांसद राजेंद्र अग्रवाल और फतेहपुर सिकरी के सांसद चौ. बाबू लाल ने आलाकमान से गेहूं से आयात शुल्क हटाने के कदम को वापस लेने की मांग की।
सूत्र बताते हैं कि सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने बालियान और पार्टी सांसदों को यह कहते हुए संतुष्ट कराया है कि किसी भी सूरत में वह विदेश से गेंहू का आयात नहीं होने देंगे। बताया जा रहा है कि बृहस्पतिवार शाम को केंद्रीय राज्यमंत्री निरंजन ज्योति के निवास पर पश्चिमी यूपी के सांसदों के साथ हुई शाह की समीक्षा बैठक में कैराना से सांसद हुकूम सिंह, मेरठ से सांसद राजेंद्र अग्रवाल और फतेहपुर सिकरी के सांसद चौ. बाबू लाल ने आलाकमान से गेहूं से आयात शुल्क हटाने के कदम को वापस लेने की मांग की।
शाह ने भाजपा सांसदों को आश्वस्त किया कि वे जल्द ही इस मामले में सरकार से बात कर समस्या का समाधान निकालेंगे। दरअसल, सरकार ने देश में गेहूं की कमी को देखते हुए आयात शुल्क हटाने का निर्णय लिया है।
मगर यूपी के किसानों की दिक्कत है कि अगले दो माह में जब उनका गेहूं बाजार में आएगा तो उसकी बिक्री बड़ी मुश्किल होगी। हालांकि सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी नेताओं को आश्वस्त किया है कि गेहूं पर आयात शुल्क लगाने का वह दोबारा विचार कर रही है।
पार्टी के कुछ किसान नेताओं ने सरकार को समझाया है कि एक माह के बाद मध्य प्रदेश से गेहूं बाजार में आने लगेगा। डेढ़ माह के अंदर पंजाब और हरियाणा का गेहूं भी बाजार में आ जाएगा।
विदेश से गेहूं भारत के बाजार में आने से पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा के किसानों को नुकसान नहीं होगा, क्योंकि यहां अधिकांश खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होती है। यूपी में यह व्यवस्था कारगर न होने की वजह से केंद्र के इस कदम का प्रदेश के किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
मगर यूपी के किसानों की दिक्कत है कि अगले दो माह में जब उनका गेहूं बाजार में आएगा तो उसकी बिक्री बड़ी मुश्किल होगी। हालांकि सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी नेताओं को आश्वस्त किया है कि गेहूं पर आयात शुल्क लगाने का वह दोबारा विचार कर रही है।
पार्टी के कुछ किसान नेताओं ने सरकार को समझाया है कि एक माह के बाद मध्य प्रदेश से गेहूं बाजार में आने लगेगा। डेढ़ माह के अंदर पंजाब और हरियाणा का गेहूं भी बाजार में आ जाएगा।
विदेश से गेहूं भारत के बाजार में आने से पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा के किसानों को नुकसान नहीं होगा, क्योंकि यहां अधिकांश खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होती है। यूपी में यह व्यवस्था कारगर न होने की वजह से केंद्र के इस कदम का प्रदेश के किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है।