काश! 3 गेंद पहले हेल्मेट पहन लेता तो नहीं जाती जान

img_20170102074310आज भारत के पूर्व क्रिकेट रमन लांबा का जन्मदिन है। रमन लांबा का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में 2 जनवरी 1960 में हुआ था। रमन ने क्रिकेट का आगाज तो शानदार किया, लेकिन दुर्भाग्यवश समापन दुखद और न भूलने वाला रहा।

क्रिकेट के जुनूनी इस खिलाड़ी ने क्रिकेट के मैदान पर खेलते हुए दम तोड़ा दिया था। 20 फरवरी, 1998 को ढाका में बांग्लादेश के एक क्रिकेट क्लब की ओर से खेलते वक्त फील्डिंग के दौरान गेंद से सिर में चोट लग जाने के कारण उनकी मौत हो गई। रमन लांबा कि मौत ने पूरे क्रिकेट जगत को स्तब्ध कर दिया था।
20 जनवरी 1998 के ढ़ाका में क्रिकेट क्लब अबाहानी क्रइरा चाकरा का मोहम्माडन स्पोर्टिंग क्लब से मुकाबला हो रहा था।
अबाहानी के कप्तान खालिद मसूद ने लांबा को शॉर्ट लेग पर फिल्डिंग के लिए लगाया और उन्हें हेलमेट पहनने के लिए कहा। लेकिन लांबा ने यह कहते हुए हेलमेट पहनने से मना किया कि ओवर में तीन ही गेंद बचे हैं। इसके बाद लांबा खड़े हुए और ड्रेसिंग रूम में चले गए। लांबा की तबीयत बिगड़ने लगी। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। दिल्ली से चिकित्सक बुलाए गए, लेकिन लांबा को नहीं बचाया जा सका। तीन दिन बाद 23 फरवरी को ढाका के पोस्ट ग्रेजुएट अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
लांबा को उनकी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता था। लांबा ने भारत के पूर्व कप्तान कृष्णमचारी श्रीकांत के साथ सलामी बल्लेबाजी की जिम्मेदारी संभाली थी। लांबा ने पदार्पण मैच से ही सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया था।
रैंबो के उपनाम से मशहूर लांबा ने 1986 में ऑस्ट्रेलिया कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण किया था और पहले मैच में ही 64 रनों की पारी खेली। लांबा ने इस पूरी श्रृंखला में शानदार बल्लेबाजी की और 55.60 की औसत से दो अर्धशतक और एक शतक की मदद से 278 रन बनाए और मैन ऑफ द सीरीज चुने गए।
उन्होंने भारत के लिए कुल 32 एकदिवसीय मैच खेले और 27 की औसत से 783 रन बनाए, जिसमें एक शतक और छह अर्धशतक शामिल हैं। लेकिन लांबा ने अपनी पहली श्रृंखला में जो प्रदर्शन किया उसे वह आगे कायम नहीं रख पाए। टेस्ट में उनका प्रदर्शन और निराशाजनक रहा। भारत की तरफ से उन्होंने कुल चार टेस्ट मैच खेले और महज 102 रन बनाए। भारत में क्रिकेट के बाद लांबा ने बांग्लादेश और आयरलैंड में क्लब क्रिकेट भी खेली।
घरेलू क्रिकेट में लांबा के नाम 121 प्रथम श्रेणी मैचों में कुल 8776 रन दर्ज हैं। लांबा के नाम दलीप ट्रॉफी में सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड भी दर्ज है। उन्होंने 21 अक्टूबर, 1987 को पश्चिम क्षेत्र के खिलाफ उत्तरी क्षेत्र की ओर से 320 रनों की पारी खेली थी। 29 साल बाद भी इस रिकार्ड को कोई नहीं तोड़ पाया है।

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