कार्बेट टाइगर रिजर्व प्रकरण की जांच मामले में आया नया मोड़, इस अधिकारी ने भी किया इंकार

देहरादून। कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग में अवैध निर्माण व पेड़ कटान के प्रकरण में अधिकारियों पर दोष निर्धारण के मद्देनजर जांच के मामले में नया मोड़ आया है। मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के बाद अब अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) बीके गांगटे ने भी प्रकरण की जांच करने से इन्कार कर दिया है। उन्होंने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा उन्हें जांच अधिकारी नामित किए जाने को नियम विरुद्ध करार दिया है।

कालागढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन पाखरो में टाइगर सफारी के लिए स्वीकृति से ज्यादा पेड़ों के कटान के साथ ही पाखरो से कालागढ़ तक अवैध निर्माण का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने अपनी स्थलीय जांच रिपोर्ट में इन शिकायतों को सही पाते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की संस्तुति की है। यह प्रकरण दिल्ली हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है।

अधिकारियों पर दोष का निर्धारण करने के मद्देनजर शासन के निर्देश पर विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) ने मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी को जांच सौंपी थी। इसके अलावा मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने भी एपीसीसीएफ बीके गांगटे को जांच सौंपने के आदेश जारी किए थे। दो दिन पहले मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने प्रकरण की जांच से इन्कार कर दिया था। साथ ही पीसीसीएफ को भेजे पत्र में साफ किया था कि भविष्य में भ्रष्टाचार या कदाचार के किसी प्रकरण में दोषियों के विरुद्ध वास्तव में कार्रवाई का स्पष्ट निर्णय होने के बाद ही उन्हें जांच अधिकारी नामित किया जाए।

दरअसल, यह प्रकरण वन्यजीव परिक्षेत्र का है और ऐसे किसी भी मामले में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के आदेश ही मान्य होते हैं। अब एपीसीसीएफ गांगटे ने मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेजे पत्र में बताया है कि उन्हें जांच अधिकारी नामित करने की मूल प्रति नौ नवंबर को मिली। उन्होंने बताया है कि पीसीसीएफ द्वारा प्रकरण की जांच मुख्य वन संरक्षक को सौंपे जाने के मद्देनजर उन्हें जांच अधिकारी नामित करना नियमों के प्रतिकूल है।

गांगटे ने यह भी कहा है कि वह वर्तमान में एपीसीसीएफ के पद पर कार्यरत हैं, जिसके नियंत्रक प्राधिकारी विभाग प्रमुख पीसीसीएफ हैं। ऐसे में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक द्वारा उन्हें जांच अधिकारी नामित करना नियम विरुद्ध और विधिक रूप से अमान्य है। ऐसे में उनके द्वारा प्रकरण की जांच करना संभव नहीं है। साथ ही सुझाव दिया है कि प्रकरण की जांच वन्यजीव शाखा में तैनात किसी दक्ष अधिकारी से कराना श्रेयस्कर होगा।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com