साल में कुल 12 पूर्णिमा होती है जिनमें कार्तिक महीने की पूर्णिमा का सबसे अधिक महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्ण, नर्मदा इन पवित्र नदियों में स्नान करके जप, तप, ध्यान योग और दान करने से अन्य तिथियों में किए गए दान पुण्य से अधिक फल प्राप्त होता है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवदीपावली
इसके पीछे कारण यह माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध करके संसार को उसके भय से मुक्त किया था और भगवान विष्णु ने उन्हें त्रिपुरारी नाम दिया था। त्रिपुरासुर के मारे जाने से देवतागण बहुत प्रसन्न हुए थे और उन्होंने इस दिन दीपावली मनाई थी। यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवदीपावली मनाई जाती है। इस दिन संध्या के समय नाव बनाकर उस पर दिए जलाकर नदी में प्रवाहित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इससे कुमार कार्तिक का पालन करने वाली 6 कृतिका माताएं प्रसन्न होती हैं जिससे दुर्भाग्य दूर होता है।
भगवान विष्णु का अवतार
एक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने पहला अवतार लिया था जो मत्स्य अवतार के नाम से जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को पितरों को शांति और उपासना के लिए भी शुभ माना गया है। यही वजह है कि पांडवों ने इस दिन महाभारत युद्ध में मारे गए योद्धाओं की आत्मा की शांति के लिए पूजन किया था।
सत्यनारायण कथा कार्तिक पूर्णिमा
कार्तिक पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा बहुत ही मंगलकारी और धनदायक मानी जाती है। अगर ऐसा करने में परेशाी हो तो आज भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति के सामना घी का दीप जलाकर उनकी पूजा करें तो इससे भी बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है और परलोक में सुख मिलता है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व सिख संप्रदाय में
कार्तिक पूर्णिमा का सिख संप्रदाय में बड़ा महत्व है। इस संप्रदाय के लोग इस दिन प्रकाश पर्व मनाते हैं क्योंकि इसी दिन 1526 में पहले गुरु नानकदेव जी का जन्म हुअा था।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal