कहीं कूल्हे के फ्रैक्चर का कारण न बन जाए अल्जाइमर

उम्र बढ़ने के साथ-साथ शरीर में विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी की वजह से बुजुर्गों में कूल्हे के फ्रैक्चर का खतरा अधिक रहता है। यह जोखिम पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होता है।

वजन जरूरत से ज्यादा होने की स्थिति में शरीर का सारा भार कूल्हों और पैरों पर पड़ने के कारण भी हिप फ्रैक्चर होने की आशंका रहती है।
इन सारी बातों के अलावा अल्जाइमर व डिमेंशिया जैसी बीमारी भी कूल्हे के फ्रैक्चर का मुख्य कारण बनने लगी है। अल्जाइमर की वजह से हिप फ्रैक्चर का कारण उसमें ली जाने वाली दवाओं के साथ-साथ मरीज की भूलने की आदत भी है, जिसकी वजह से वह यह भी भूल जाता है कि उसे कितना वजन उठाना चाहिए। ज्यादा वजन उठाने के कारण उसके कूल्हों पर भार पड़ता है और उनके टूटने का खतरा बढ़ जाता है।

अगर आप खुद को अल्जाइमर की वजह से होने वाले कूल्हे के फ्रैक्चर की समस्या से बचाना चाहते हैं तो इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि अपनी दिनचर्या में उन आदतों को शामिल करें, जो याददाश्त को दुरुस्त करने वाली हों।

अपने वजन को नियंत्रित रखने के साथ-साथ पौष्टिक भोजन करें। अपने आहार में भरपूर मात्रा में ताजे फल और सब्जियों को नियमित रूप से शामिल करें। खुद को स्वस्थ रखने के लिए अल्जाइमर की वजह से कूल्हे के फ्रैक्चर की समस्या से बचाए

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रखने के लिए नियमित तौर पर व्यायाम  करें।
मानसिक सक्रियता बनाये रखें। इसके लिए अपने अंदर कुछ नया सीखने की ललक बरकरार रखें। नये शौक विकसित करें। याददाश्त को दुरुस्त रखने के लिए अपने परिवार के साथ बीते दिनों की बातों को शेयर करें। सुडोकू खेलें और दिलचस्प किताबें पढ़ें।
अपना सामाजिक दायरा बढ़ाएं। इसके लिए नियमित तौर पर किसी पार्क आदि में सैर के लिए जाएं। वहां अपने हमउम्र लोगों से बातचीत करें। अपने दोस्तों के सम्पर्क में रहें और अपने परिवार के साथ समय बिताएं।

मछली, जैतून का तेल, भरपूर मात्रा में सब्जियां आदि के सेवन से अल्जाइमर के लक्षणों को नियंत्रण में रखने में सहायता मिलती है। इससे कूल्हे के फ्रैक्चर की आशंका भी काफी हद तक कम हो जाती है।

40 साल की उम्र पार करने के साथ अपने आहार में बादाम, टमाटर, मछली आदि को शामिल करें।

नियमित योग से याददाश्त को दुरुस्त करके अल्जाइमर के खतरे से बचा जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जैसे ही आपको यह लगने लगे कि आपकी याददाश्त कमजोर हो रही है, नियमित योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लें। प्रतिदिन 20 से 25 मिनट योग करने से याददाश्त तेज होती है।

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