कर्नाटक मॉडल से कम हो सकती हैं पंजाब में किसान आत्महत्याएं

पंजाब सरकार यदि कृषि में कर्नाटक सरकार का मॉडल अपनाए, तो यहां किसान आत्महत्या की घटनाओं में कमी आ सकती है। आत्महत्या में कमी लाने और उन्हें उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए चार साल पहले बनाए गए कर्नाटक एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। पिछले चार वर्षों में किसानों पर कर्ज का तनाव कम हुआ है। यह दावा है कर्नाटक स्टेट एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन के चेयरमैन डॉ. टीएन प्रकाश का।

-कर्नाटक एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन के चेयरमैन डॉ. टीएन प्रकाश से विशेष बातचीत

वह दो दिन तक चंडीगढ़ में चली डायलॉग हाईवे की नेशनल कांफ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए आए थे। जागरण ने उनसे किसानों में बढ़ रही आत्महत्या की प्रवृत्ति और उनकी समस्याओं के समाधान को लेकर चर्चा की। डॉ. प्रकाश ने बताया कि कर्नाटक सरकार ने इस ओर कदम उठाया है। किसानों को समय पर उनकी फसलों का उचित मूल्य न मिलने से ही उन पर कर्ज का बोझ बढ़ता है। फिर इस कर्ज को उतारने की चिंता में ही वह आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं।

डॉ. प्रकाश ने बताया कि कर्नाटक सरकार ने 2014 में स्टेट प्राइस कमीशन का गठन किया था। इसमें हम फसलों की कीमत सुनिश्चित करते हैं और अगर खुले बाजार में कीमत उससे नीचे जाती है, तो फसल की खरीद सरकार करती है। इसके लिए एक पोर्टल बनाया गया है और पूरे राज्य के किसानों को इस पोर्टल के जरिए फसल की कीमत बताई जाती है, ताकि वे इससे नीचे न बेचें।

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