कर्नाटक में गोहत्या के खिलाफ कानून आज से लागू हो गया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस अध्यादेश के लागू होने से प्रदेश में गाय की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगेगा। वहीं, बताया गया है कि राज्य में स्लाटर हाउसेज (बूचड़खानों) का संचालन जारी रहेगा और भैंसों के मांस के उपभोग पर प्रतिबंध नहीं होगा क्योंकि सक्षम प्राधिकारी के सत्यापन से 13 साल से अधिक उम्र की नर व मादा भैंस की हत्या पर प्रतिबंध नहीं है।
कर्नाटक में गोहत्या के खिलाफ लागू कानून के खिलाफ जाना बहुत महंगा पड़ सकता है। अध्यादेश में गोधन की हत्या करने पर तीन से सात साल की सजा और 50 हजार से पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। दोबारा अपराध करने पर सात साल की सजा और एक लाख से 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इसमें ‘कैटल’ को सभी उम्र की गाय, गाय के बछड़े, बैल, सांड़ और 13 साल से कम उम्र की नर और मादा भैंस के रूप में परिभाषित किया गया है। जबकि बीफ को किसी भी रूप में कैटल के मांस के रूप में परिभाषित किया गया है।
कर्नाटक सरकार ने हाल ही में कहा था, ‘कर्नाटक प्रीवेंशन ऑफ स्लॉटर एंड प्रिजर्वेशन ऑफ कैटल ऑर्डिनेंस, 2020 के सभी प्रावधान 18 जनवरी से लागू हो जाएंगे।’ बता दें कि इस महीने की शुरुआत में, राज्य के राज्यपाल वजुभाई वाला ने कर्नाटक में वध-संरक्षण और मवेशी संरक्षण विधेयक -२०२० को मंजूरी दी थी, जिसे राज्य विधानसभा में 9 दिसंबर २०२० को पारित किया गया था। राज्य सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि अध्यादेश का उद्देश्य राज्य में वध और गोवंश के संरक्षण के लिए व्यापक कानून प्रदान करना है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि विधेयक, जो अब एक कानून है, उसकी व्यापार सलाहकार समिति की बैठक में चर्चा नहीं की गई थी।