कमीशन के लालच में बीमा एजेंट ने दे दी है गलत पॉलिसी तो फ्री लुक पीरियड करेगा आपकी मदद B

नई दिल्ली। भारत में इंश्योरेंस सेक्टर तेजी से विस्तार कर रहा है। जितनी तेजी से यह क्षेत्र विस्तार कर रहा है उतनी ही तेजी के साथ आए दिन मिस सेलिंग (गलत इंश्योारेंस पॉलिसी बेचने) की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। आमतौर पर इंश्योरेंस एजेंट या एडवाइजर ज्यादा कमीशन कमाने के चक्कर में कई बार ग्राहकों को ऐसी पॉलिसी दे देते हैं, जिसकी वास्तव में आपको जरूरत ही नहीं होती। ऐसी घटनाओं को बढ़ता देख बीमा नियामक आयोग (इरडा) ने कर्इ प्रावधान किए हैं। इनके तहत ग्राहक बीमा कंपनी के खिलाफ केस तक दर्ज कर सकते हैं, हालांकि इसमें काफी समय बरबाद हो जाता है। इससे बचने का आसान तरीका फ्री लुक पीरिएड है। आज जागरण डॉट कॉम की टीम अपने पाठकों यह बताने जा रही है कि क्या होता है फ्री लुक पीरिएड और अगर आप मिस सेलिंग का शिकार हुए हैं तो किस तरह इसका फायदा उठा सकते हैं।

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फ्री लुक पीरिएड मिस सेलिंग से बचाता है

फ्री लुक पीरिएड एक तरह से ई-कॉमर्स कंपनियां की ओर से दिए गए रिप्लेसमेंट गारंटी होती हैं। सभी बीमाधारकों को बीमा कंपनियां फ्री लुक पीरियड की सुविधा देती हैं। फ्री लुक पीरियड पॉलिसी डॉक्यूमेंट मिलने के 15 दिनों तक होता है। ऑनलाइन पॉलिसी खरीदने की स्थिति में फ्री लुक पीरियड 30 दिन का होता है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में यह सुविधा तीन वर्ष से ज्यादा की पॉलिसी खरीदने पर मिलती है। पॉलिसी डॉक्यूमेंट मिलने की तारीख का प्रमाण देना पॉलिसी धारक की जिम्मेदारी होती है।

ऐसे उठाएं फ्री लुक पीरिएड का लाभ

ग्राहक को पॉलिसी डॉक्यूमेंट इसलिए दिया जाता है ताकि आप अपनी पॉलिसी को ठीक प्रकार से पढ़कर लें, समझकर अपने लिए सही और गलत का फैसला कर है निवेश कर सके। अगर ग्राहक को लगता है कि पॉलिसी आपके काम की नहीं है तो उसे वापस भी किया जा सकता है।

फ्री लुक पीरिएड से जुड़ी अहम बातें

1. पॉलिसी धारक को पॉलिसी डॉक्यूमेंट फ्री लुक पीरियड तक संभालकर रखना चाहिए।
2. फ्री लुक पीरियड केवल नई पॉलिसी लेने पर लागू होता है। यह रिन्युअल पर लागू नहीं होता।
3. फ्री लुक पीरियड में ग्राहक के पास पॉलिसी लौटाने का भी ऑप्शन होता है।
4. फ्री लुक पीरियड में पॉलिसी लौटाने पर प्रीमियम का रिफंड वापस मिल जाता है।
5. इसमें ग्राहक को पॉलिसी लौटाने की वजह को स्पष्ट करना होता है।
6. रिफंड में से इंश्योरेंस कंपनी अपना खर्च घटा देती है, जिसमें मेडिकल जांच, स्टांप ड्यूटी का खर्च आदि शामिल होते हैं।
7. यूलिप प्रीमियम का रिफंड एनएवी के हिसाब के होती है।

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