शास्त्रों में कई ऐसी कथा और कहानियाँ है जिन्हे सुनना सभी को पसंद होता है. ऐसे में आज हम आपको तुलसीदास जी की वह कहानी बताने जा रहे हैं जिसे आप सभी ने शायद ही सुना होगा.
कहानी – तुलसीदास अपनी पत्नी रत्नावली से बहुत प्रेम करते थे. एक बार रत्नावली अपने मायके गईं. तुलसीदास से रहा नहीं गया. उस रात भारी बारिश थी. रत्नावली का घर नदी के उस पार के गांव में था. तुलसीदास, पत्नी से मिलने के लिए बारिश में निकल पड़े. नदी के पास कोई नाव नहीं थी, तब उनको वहां किनारे पर एक बहती लाश दिखाई दी. तुलसीदास ने उस लाश पर बैठकर जैसे-तैसे नदी पार की. पत्नी के घर पर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया, लेकिन दरवाजा नहीं खुला.
पत्नी दूसरी मंजिल पर सोती थी, इसलिए घर के पीछे जाकर ऊपर चढ़ने का रास्ता देखने लगे. घर के पीछे उनको एक मोटी रस्सी दिखाई दी, वो उस रस्सी से चढ़कर ऊपर आ गए और सीधा पत्नी के कमरे में पहुंचे. पत्नी हड़बड़ा गई और बोली इतनी रात बारिश में और वो भी ऊपर- आप कैसे आए! तुलसीदास बोले- रस्सी पकड़कर. पत्नी ने देखा रस्सी नहीं, सांप था. पति की इस अथाह आसक्ति को देखकर पत्नी बोली- हे नाथ! मेरी देह से जितना प्रेम करते हो, इतना प्रेम यदि राम से करते, तो आपका जीवन धन्य हो जाता. पत्नी की ये बात तुलसीदास के हृदय में उतर गई. उसी समय तुलसीदास घर से निकल गए और चित्रकूट में एक कुटिया बनाकर रहने लगे, जिसके बाद तुलसीदासजी को भगवान राम और हनुमानजी का साक्षात्कार हुआ और भक्तिभाव में तुलसीदासजी ने रामचरित्र मानस, संकटमोचन, हनुमान चालीसा आदि अनेकों ग्रंथ की रचना की. जीवन की दिशा बदलने के लिए एक वाकया, एक शब्द, एक व्यक्ति काफी होता है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए यदि कोई मौका आए, तो उसको हासिल कर लेना चाहिए.