एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने अगले वित्त वर्ष के लिए, भारतीय अर्थव्यवस्था वृद्धि दर 7.2 फीसदी

एशियाई विकास बैंक (एडीबी) भारत के भी ग्रोथ अनुमान को घटाते हुए कहा है कि वित्त वर्ष 2020 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहेगी. एडीबी ने पहले वित्त वर्ष 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.6 फीसदी की बढ़त होने का अनुमान जारी किया था.

एशियाई विकास बैंक ने कहा कि वैश्विक मांग में कमी और घरेलू मोर्चे पर राजस्व में कमी आने की वजह से भारत में भी ग्रोथ कम होगा और 2019-20 में जीडीपी बढ़त 7.2 फीसदी रह सकता है. इसके पहले एडीबी ने वित्त वर्ष 2020 में भारत के जीडीपी में 7.6 फीसदी की बढ़त होने होने का अनुमान जारी किया था.

कृषि पैदावार और खपत में कमी, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और सरकारी खर्च कम होने से वित्त वर्ष 2017 के 7.2 फीसदी की तुलना में वित्त वर्ष 2018 में ग्रोथ रेट 7 फीसदी ही रह गया था

गौरतलब है कि इसके पहले अर्थव्यवस्था में उम्मीद से कम की रफ्तार का अनुमान लगाते हुए रेटिंग एजेंसी फिच ने भी अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के लक्ष्य को कम कर दिया था. फिच ने मार्च महीने में जारी अपनी रिपोर्ट में इस वित्त वर्ष के दौरान 6.8 फीसदी ही जीडीपी बढ़त का अनुमान लगाया है, जो पहले 7 फीसदी था. रेटिंग एजेंसी ने अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में कहा था, ‘हालांकि, हमने अर्थव्यवस्था में उम्मीद से कमतर तेजी के कारण अगले वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर का पूर्वानुमान कम किया है, इसके बाद भी देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वित्त वर्ष 2019-20 में 6.8 फीसदी और वित्त वर्ष 2020-21 में 7.10 फीसदी की दर से बढ़ेगा.’ फिच ने पिछले साल दिसंबर में वित्त वर्ष 2019 के लिये आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.8 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया था.

दूसरी तरफ, खस्ताहाल हो चुके पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर भी लगातार गिरती जा रही है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने व्यापक आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018 में 5.2 प्रतिशत से गिरकर 2019 में 3.9 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है. एडीबी ने कहा है कि इसके अगले वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ और घटकर 3.9 फीसदी ही रह जाएगी. एडीबी के एशियाई विकास परिदृश्य 2019 के अनुसार, कृत्रि क्षेत्र में सुधार के बावजूद 2018 में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़ी है. इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान की विस्तारवादी राजकोषीय नीति ने बजट और चालू खाते के घाटे को व्यापक रूप से बढ़ाया और विदेशी मुद्रा का भारी नुकसान किया है.

एडीबी ने कहा कि जब तक वृहद आर्थिक असंतुलन को कम नहीं किया जाता है तब तक वृद्धि के लिए परिदृश्य धीमा बना रहेगा, ऊंची मुद्रास्फीति रहेगी, मुद्रा पर दबाव बना रहेगा. उसे थोड़ा बहुत विदेशी मुद्रा भंडार भी बनाये रखने के लिये भारी मात्रा में बाहरी वित्तपोषण की जरूरत होगी. एडीबी ने कहा कि 2020 में भी राजकोषीय मजबूती और अनुशासन जारी रहने की वजह से उसकी आर्थिक वृद्धि दर गिरकर 3.6 प्रतिशत रह जाएगी.

अपनी भारी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिये पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक वृहद आर्थिक स्थिरीकरण कार्यक्रम पर बातचीत कर रही है.गौरतलब है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है. पाकिस्तान का खजाना खाली है, जरूरी खर्चों के लिए सरकार के पास धन नहीं है. पाकिस्तान लगातार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से राहत पैकेज देने की मांग कर रहा है. कुछ दिनों पहले ही चीन ने उसे बड़ा लोन देने का ऐलान किया है. लेकिन पाकिस्तान की आर्थिक हालत चिंताजनक बनी हुई है. अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट आने से पाक की हालत और खराब होगी. चीन अपनी महत्वाकांक्षी योजना ओबीओआर के तहत पाकिस्तान में अरबों डॉलर झोंक रहा है, लेकिन इसका वास्तविक नतीजा सामने आने में वर्षों लग जाएंगे. फिलहाल तो पाकिस्तान के लिए कोई राहत नहीं दिख रही.

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