वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने आतंक के खिलाफ पाकिस्तान के काम से नाखुशी जाहिर करते हुए जून 2020 तक ग्रे लिस्ट की अवधि को बढ़ा दिया है।
एफएटीएफ ने पाक को चेतावनी दी और 27 सूत्रीय कार्ययोजना पर जून से पहले अनुपालन करने के लिए कहा। पाकिस्तान अगर आतंक को रोकने के लिए प्रभावी काम नहीं करता है तो उसे जून 2020 में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।
पेरिस के जानकार सूत्रों ने पाकिस्तान के डॉन न्यूज को बताया कि एफएटीएफ के कार्य समूह की कई बैठकों में पाकिस्तान के प्रदर्शन की कार्ययोजना की समीक्षा की गई। जिसके बाद एफएटीएफ ने पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट की अवधि को चार महीने के लिए बढ़ा दिया। एफएटीएफ 16 फरवरी से शुरू हुई बैठकों के समापन पर आज आधिकारिक बयान जारी करेगा।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई न करने वाले पाकिस्तान का साथ उसके सदाबहार दोस्त कहे जाने वाले चीन और सऊदी अरब ने छोड़ दिया है। एफएटीएफ की बैठक में चीन ने भारत, अमेरिका, यूरोपीय देशों और सऊदी अरब का साथ दिया।
इन सभी देशों ने पाकिस्तान से कहा है कि उसे आतंकी वित्तपोषण और मनी लांड्रिंग के मामले में सख्त कार्रवाई करनी होगी। साथ ही आतंकी संगठन के सभी नेताओं को सजा और अभियोजन के दायरे में लाना होगा।
अब एफएटीएफ की अगली बैठक जून में होगी। जिसमें पाकिस्तान द्वारा आतंकी वित्तपोषण, मनी लांड्रिंग और आतंकी सरगनाओं के खिलाफ की गई कार्रवाई की गहन समीक्षा की जाएगी। यदि चार महीने में पाकिस्तान एफएटीएफ की मांगों को पूरा नहीं कर पाता है तो उसे कालीसूची में डाल दिया जाएगा।
पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है।
इसके अलावा एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है। एफएटीएफ का निर्णय लेने वाला निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है।
एफएटीएफ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को दुरुपयोग से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कमजोरियों की पहचान करने के लिए काम करता है। अक्टूबर 2001 में एफएटीएफ ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के प्रयासों को शामिल किया। जबकि अप्रैल 2012 में इनकी कार्यसूची में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के वित्तपोषण का मुकाबला करने के प्रयासों को जोड़ा गया।
एफएटीएफ अपने द्वारा दी गई सिफारिशों को लागू करने में देशों की प्रगति की निगरानी करता है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण की तकनीकों को खत्म करने की उपायों की समीक्षा करता है। इसके साथ ही एफएटीएफ विश्व स्तर पर अपनी सिफारिशों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा देता है।
वर्तमान में एफएटीएफ के कुल 39 सदस्य हैं। जिसमें 37 सदस्य देश और 2 क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं, जो दुनिया के लगभग सभी हिस्सों में सबसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान इस संगठन का सदस्य नहीं है।