पटना, एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश चंद्र वर्मा ने मुख्य न्यायाधीश संजय करोल को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि हाई कोर्ट को जल्द फिजिकल माध्यम से कार्य करना शुरू कर देना चाहिए। उनका कहना है कि कोरोना की वजह से सवा साल से न्यायिक कार्य एवं न्यायालयों के ठप्प रहने से वकील, उनके साथ काम कर रहे क्लर्क, टाइपिस्ट आदि को आॢथक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि क्लाइंट अपने वकीलों से खफा हैं और वाद का निपटारा नहीं होने पर कार्य-पद्धति पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
काम नहीं मिलने से गांव लौटे वकील
पत्र में लिखा गया है कि हाई कोर्ट में लगभग 65 फीसद न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं और इससे न्यायालय की कार्यक्षमता पर असर पड़ा है। वादियों को न्याय नहीं मिल पा रहा रहा है। पेशागत कार्य नहीं कर पाने की वजह से करीब 25 से 30 हजार वकील गांव का रुख कर चुके हैं। मुकदमों की संख्या के मद्देनजर अदालत का समय बढ़ाया जाना चाहिए। शनिवार को भी काम होना चाहिए। वीडियो कान्फ्रेंसिंग से सुनवाई में अक्सर इंटरनेट कनेक्टिविटी अवरुद्ध हो जाती है।
पिछले साल मार्च से ही प्रभावित है कोर्ट का काम
कोरोना वायरस महामारी के कारण पटना हाईकोर्ट का कामकाज वर्ष 2020 के मार्च महीने के आखिरी हफ्ते से ही प्रभावित है। इसके चलते छोटे वकीलों के सामने तो पेट भरने पर आफत आ गई है। वकीलों ने राज्य सरकार से भी राहत पैकेज देने की मांग की है। वकीलों का कहना है कि सभी न्यायालयों को खोलकर अब पहले की तरह कामकाज शुरू करना चाहिए, ताकि न्यायिक व्यवस्था सुचारू हो सके। पटना हाईकोर्ट फिलहाल ग्रीष्मावकाश को लेकर बंद है। वकील कोर्ट में इस बार ग्रीष्मावकाश नहीं चाहते थे। इसको लेकर कई स्तर पर पत्राचार पहले भी हुआ है। वकीलों का कहना है कि इससे आम आदमी सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है।