एक ‘लंच’ ने बढ़ा दी शीला दीक्षित की चिंता, फिर राहुल गांधी तक जा सकता है मामला !

दिल्ली कांग्रेस में चल रहा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित एवं उनके समर्थकों के खिलाफ गुटबाजी तेज होती जा रही है। अब पिछले दिनों कांग्रेस के दो दर्जन से अधिक पूर्व और मौजूदा निगम पार्षदों ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में साथ बैठकर लंच किया है। यह लंच इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्योंकि इस लंच में प्रदेश प्रभारी पीसी चाको मौजूद थे।

पूर्व मेयर सतवीर सिंह की अगुआई में पीसी चाको के साथ इस डिप्लोमेसी लंच का आयोजन किया गया था। बाद में इन नेताओं की तरफ से एक पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को लिखा गया। राहुल को पत्र लिखकर उनसे त्याग पत्र वापस लेने की मांग की गई है। साथ ही उनसे मिलने का समय भी मांगा गया है। पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं को सम्मान नहीं मिल रहा है, जो चिंता की बात है।

चाको के साथ लंच के दौरान प्रदेश कांग्रेस के भीतर चल रही राजनीति पर भी खूब चर्चा हुई। चर्चा का केंद्र बिंदु प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और तीनों कार्यकारी अध्यक्ष हारून यूसुफ, देवेन्द्र यादव एवं राजेश लिलोठिया रहे। इस लंच में पूर्व और वर्तमान पार्षदों में फरहाद सूरी, जयकिशन शर्मा, अजित चौधरी, महमूद जिया, अभिषेक दत्त, रिंकू, मुकेश गोयल आदि शामिल थे।

नई रणनीति से चक्रव्यूह रचेगी कांग्रेस

गुटबाजी से जूझ रही प्रदेश कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नई रणनीति से चक्रव्यूह तैयार करेगी। इसके तहत चुनावी जंग के लिए योद्धा जल्द चुने जाएंगे और उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र के ब्लॉक अध्यक्ष चुनने की आजादी दी जाएगी। इस दिशा में औपचारिक निर्णय जल्द लिया जा सकता है।

प्रदेश कांग्रेस ने 280 ब्लॉक समितियों को भंग करने के बाद पिछले सप्ताह 14 जिला और 280 ब्लॉक पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए। इन्हें ब्लॉक अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन पार्टी संभावित दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए नई रणनीति पर भी गंभीरता से विचार कर रही है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नई रणनीति यह है कि सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में अभी से ही संभावित उम्मीदवार तय कर दिए जाएं। इससे वे अभी से अपने क्षेत्र में सक्रिय हो जाएंगे और उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र के चारों ब्लॉक अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी भी दी जाएगी। यानी पर्याप्त समय देते हुए विधानसभा उम्मीदवार भी तय कर दिए जाएं और उन्हें खुद की चुनी हुई टीम के साथ काम करने की छूट भी दे दी जाए।

प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित भी इस रणनीति के पक्ष में हैं और लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा के लिए गठित पांच सदस्यीय वालिया कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार की प्रमुख वजह उम्मीदवारों के चयन में हुआ खासा विलंब था।

शीला सहित प्रदेश कांग्रेस के कई पदाधिकारी इस रणनीति को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से रायशुमारी कर रहे हैं और अधिकतर नेता इसके पक्ष में नजर आ रहे हैं।

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