सपा-कांग्रेस में नहीं है एक राय

यूपी की दोनों लोकसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए पूर्ववर्ती सपा-कांग्रेस गठबंधन में एक राय नहीं बन पाई है. इकोनॉमिक टाइम्स से ही बातचीत में पूर्व सीएम अखिलेश यादव के करीबी और सपा के प्रवक्ता सुनील सिंह यादव ने कहा कि हमारी पार्टी दोनों सीटों पर चुनाव लड़ेगी. अब यह कांग्रेस पर है कि वह हमारा सहयोग करती है या फिर वह भी चुनाव मैदान में उतरती है.

सुनील सिंह के इस बयान से यह साफ हो गया है कि कुछ दिनों पहले तक संयुक्त विपक्ष की तरफ से फूलपुर से बसपा नेता मायावती को उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका है. वहीं, दूसरी ओर बसपा के नेता लालजी वर्मा ने भी स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी पहले से ही उपचुनावों को नजरअंदाज करती रही है. वर्मा ने कहा कि उन्हें प्रदेश में अगले महीने होने वाले उपचुनाव में पार्टी की तरफ से लिए गए किसी निर्णय की कोई जानकारी नहीं है. विपक्षी पार्टियों के द्वारा बनाई गई इन परिस्थितियों से आसन्न उपचुनावों को लेकर भाजपा का आत्मविश्वास और बढ़ा हुआ है.

उपचुनाव में जीत को सपा लगा रही जोर

गठबंधन न बनने के बावजूद समाजवादी पार्टी दोनों लोकसभा सीटों पर चुनाव जीतने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है. खासकर फूलपुर में, जो कि डिप्टी सीएम की सीट रही है, सपा इलाहाबाद में दलित छात्र की हत्या का मुद्दा उठाकर भाजपा को निशाना बना रही है. पार्टी प्रवक्ता सुनील सिंह यादव ने कहा कि केशव प्रसाद मौर्य दलित हैं. प्रदेश के डिप्टी सीएम भी हैं.

फिर भी वे ओबीसी और दलितों को सुरक्षा मुहैया करा पाने में नाकाम साबित हुए हैं. फूलपुर में वोटों के ध्रुवीकरण संबंधी सवाल पर यादव ने कहा कि ऐसे में जबकि बसपा चुनाव नहीं लड़ रही, यहां के ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोट हमारे पक्ष में जाएंगे. वहीं इसके उलट भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि हमारी पार्टी के सामने विपक्ष कमजोर है. वह इन चुनावों में टिक ही नहीं पाएगा. त्रिपाठी ने कहा कि पहले हमारे पास सिर्फ केंद्र सरकार की उपलब्धियां थी. अब तो पिछले एक साल योगी सरकार के काम के नतीजे भी हैं. यह हमारी जीत पुख्ता कराएंगे.