शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने ‘मुखपत्र सामना’ को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनना चाहिए और इसके लिए मैंने लोगों से अपील की है. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये हिंदुत्व की और देश की जरूरत थी, क्योंकि देश को दोबारा कांग्रेस और भ्रष्टाचारियों की झोली में नहीं डालना चाहते.
हालांकि, जब उद्धव ठाकरे से चौकीदार के मुद्दे पर पूछा गया तो उनका जवाब रहा कि मैं शिवसैनिक हूं और शिवसैनिक हमेशा चौकीदार ही रहता है.
उन्होंने ये भी कहा कि शिवसेना सत्ता के सामने कभी लाचार नहीं हुई.आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 की परिस्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ा है, क्योंकि उस समय भी विरोधी दल में ऐसा कोई प्रभावी नहीं था और इस बार भी कोई नहीं. आगे उन्होंने कहा कि नरसिंहराव, मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्री हुए और भी प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अच्छे काम किए, क्योंकि उस समय कांग्रेस में वैसे नेता थे, लेकिन अब वहां उस स्तर का कोई नेता नहीं दिख रहा है.
कांग्रेस मुक्त देश ऐस मैं नहीं कहता, विपक्ष होना जरूरी
राहुल गांधी को लेकर उन्होंने कहा कि कभी-कभी वे सही बोलते हैं, लेकिन कभी लगता है कि अरे ये क्या गड़बड़ कर दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुक्त देश ऐसा मैं नहीं बोलता, कांग्रेस को नष्ट करो ऐसा भी नहीं बोलता, क्योंकि एक लोकतांत्रित देश में विपक्ष का होना जरूरी है, लेकिन ये जरूर कहूंगा कि कांग्रेस की हालत अभी नेताविहीन है, उनके पास उस स्तर का कोई नेता नहीं है. उन्होंने कहा कि फिलहाल विपक्ष के पास प्रधानमंत्री के लिए कोई चेहरा नहीं है.
15 लाख व्यर्थ घोषणा, लोगों को सच्ची बातें बताएं
बेरोजगारी के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह एक ज्वलंत समस्या है और इसे हल करना ही होगा. ‘अच्छे दिन’ को लेकर उन्होंने कहा कि अच्छे दिन कहो या सुख-समृद्धि के दिन, लेकिन इसके लिए ऊटपटांग घोषणा कर देना, कृपया ऐसा न करें. उतना ही बोलें जो हम कर सकते हैं. 15 लाख के बारे में उनका जवाब था कि ऐसे व्यर्थ घोषणा नहीं करना चाहिए, लोगों को हमेशा सच्ची बातें ही पसंद आती हैं.
राहुल गांधी के ‘न्याय’ योजना पर उन्होंने कहा कि जनता के खाते में सालाना 72 हजार रुपये जोड़े जाने की बात कही गई है, लेकिन देश की तिजोरी के बारे में किसी ने सोचा क्या? उन्होंने कहा कि राहुल क्या कर रहे हैं यह जनता के सामने सवाल है. उन्होंने कहा कि मुझे मुख्यमंत्री नहीं बनना, लेकिन मैं शिवसेना का मुख्यमंत्री हूं इसलिए मैं हाथ-पैर मार रहा हूं.
जब राहुल और प्रियंका गांधी को लेकर सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि मुझे व्यक्तिगत तौर पर किसी के बारे में द्वेष नहीं है, वे दोनों मेरी अपेक्षा कम उम्र के हैं, इसलिए मैं उन्हें बच्चा कहता हूं. आगे कहा कि इन दोनों बच्चों की वर्तमान राजनीति में स्थायित्व हासिल करने की कोशिश जारी है. हालांकि इससे पहले ही उन्होंने ये भी कहा कि राहुल गांधी देश का नेतृत्व कर पाएंगे क्या? इस सवाल के समर्थन में अभी तक उत्तर नहीं मिल रहा है.
जो शिवसेना में आए, वे भाजपा से आए
राम मंदिर के निर्माण को लेकर उन्होंने कहा कि अगर गति नहीं मिली तो मैं फिर अयोध्या जाउंगा. अगर व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए गठबंधन किया होता तो शिवसेना प्रमुख की तस्वीर के सामने खड़ा नहीं हो पाता. मेरे सांसद और मंत्री ने गठबंधन के लिए मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं डाला, हमने गठबंधन में देश में संघर्ष किया है, उस समय देश का ऐसा माहौल था कि खुद को हिंदू कहलाना अपराध था, हिंदू गाली थी, हिंदू आतंकवाद और भगवा आतंकवाद का उल्लेख शुरू हो गया था, उस समय बालासाहेब ठाकरे ने हिंदुत्व की अलख जलाई थी, जो शिवसेना में आए वो भाजपा से आए.
आगे उन्होंने कहा कि शिवसेना प्रमुख, अटलजी, आडवाणीजी इन तीनों ने जो मेहनत की है और विचारों का बीज बोया है वो बेहद विपरीत परिस्थिति में बीजारोपण किया है. वह काल संघर्ष का था, उस समय इन नेताओं ने रथयात्रा निकाली, हिंदुत्व का उच्चारण ही नहीं बल्कि प्रसार भी किया गया. इन नेताओं ने जान पर खतरे झेले तब जाकर हमें ये दिन दिखाई दे रहा है. नहीं तो हम कहां होते, ये पता भी नहीं चलता, इसलिए हमें उनका ऋण हमेशा मानना चाहिए.
हिंदुत्व पर उन्होंने कहा कि हिंदुत्व मतलब राष्ट्रीयत्व और यही हमारा हिंदुत्व है और ये हमें शिवसेना प्रमुख ने सिखाया है. बीजेपी-शिवसेना गठबंध को लेकर उन्होंने कहा कि मैं दगा नहीं दूंगा, हमसे दगाबाजी मत करना. पार्टी को लेकर उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना को कभी लाचार नहीं होने दूंगा.