देहरादून: केंद्र सरकार की कारपोरेट नीतियों के खिलाफ उत्तराखंड संयुक्त ट्रेड यूनियन समन्वय समिति ने हड़ताल रखी। सचिवालय कूच के दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोक किया और गिरफ्तार कर लिया। सुबह इंटक, एटक, सीटू, एक्टू, एचएमएस, रक्षा कर्मचारी, केंद्रीय कर्मचारी कामगार महासंघ, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन, यूटीयूसी, बीमा से जुड़े कर्मचारी गांधी पार्क के समक्ष एकत्रित हुए। इस पर पुलिस ने उन्हें समझाते हुए परेड मैदान से प्रदर्शन की सलाह दी। इस पर कर्मचारी परेड मैदान चले गए।
यहां से कर्मचारियों ने जेल भरो आंदोलन के तहत सचिवालय के लिए कूच किया। उन्हें पुलिस ने कनक चौक पर रोक लिया और सभी को गिरफ्तार कर लिया। एटक के प्रांतीय महामंत्री कामरेड अशोक शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही कारपोरेट नीति आज देश के लाखों-करोड़ों मजदूरों से काम छिन रही है। जिससे उसने सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। केंद्र और राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ उत्तराखंड में जेल भरो आंदोलन किया गया। इसमें देहरादून, हरिद्वार और कोटद्वार से कर्मचारी शामिल हुए।
ये हैं ट्रेड यूनियनों की मांगें
-45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुरूप सभी स्कीम वर्कर्स को कर्मचारी का दर्जा दिया जाए और उसके अनुरूप सुविधाएं लागू की जाए।
-चिकित्सा सुविधा व 3000 रुपये मासिक पेंशन दी जाए। इस ओर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की घोषणा लागू की जाए।
-न्यूनतम 18000 रुपये मासिक वेतन लागू किया जाए।
-स्कीम योजनाओं में बजट कटौती न की जाए। वर्ष 2018-19 के बजट में स्कीम वर्कर्स के लिए समुचित वृद्धि की जाए। साथ ही स्कीम योजनाओं का निजीकरण बंद किया जाए।
-स्कीम योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या घटाना बंद किया जाए।
-आशाओं का मानदेय घोषित किया जाए और तेलंगाना, केरल की भांति मानदेय दिया जाए।
-स्कीम वर्करों को सामाजिक सुरक्षा दी जाए।