उत्तराखंड: सड़क निर्माण एजेंसियां पहाड़ में आपदाओं का बन रही बड़ा कारण, स्वयंसेवी संस्थाएं कर रही ये मांग

पिथौरागढ़, पर्वतीय क्षेत्रों में आ रही आपदाओं के लिए सड़क निर्माण एजेंसियां जमीन तैयार कर रही हैं। एजेंसियां सड़क निर्माण का मलबा डंपिंग जोन में न डालकर सीधे पहाडिय़ों में धकेल रही है। यही मलबा आपदाओं का बड़ा कारण साबित हो रहा है। स्वयंसेवी संस्थाएं सड़क निर्माण एजेंसियों की मनमानी पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर मुखर हो गई हैं।

सोच संस्था के अध्यक्ष जगत मर्तोलिया ने कहा है कि पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से सड़कों का निर्माण हो रहा है। सड़कों की कटिंग से निकलने वाले मलबे के निस्तारण के लिए डंपिंग जोन बनाए जाने का प्राविधान है, लेकिन सड़क निर्माण एजेंसियां डंपिंग जोन में आने वाले खर्च को बचाने के लिए मलबा सीधे पहाडिय़ों से नीचे धकेल दे रही हैं। ये मलबा पहाडिय़ों में जमा हो रहा है और हल्की सी बरसात में ही खिसक कर नीचे बसी बस्तियों में तबाही मचा आ रहा है।

कई स्थानों में मलबा सीधे नदियों और गाड़ गधेरों में फेंका जा रहा है। गाड़ गधेरों और नदियों में एकत्र होने वाला मलबा पानी के स्वाभाविक बहाव को प्रभावित कर रहा है। इसी से नदियां नदी घाटी वाले क्षेत्रों में बसी बस्तियों में कहर मचा रही हैं। उन्होंने कहा कि सड़क कटान का मलबा फेंके जाने में हो रही मनमानी पर रोक लगाई जाए। मर्तोलिया ने इस संबंध में एनजीटी को भी पत्र प्रेषित किया है।

हाईवे पर टूट रही चट्टानों की विशेषज्ञों से कराई जांच

कांग्रेस के पूर्व प्रांतीय प्रवक्ता भुवन पांडेय ने पिथौरागढ़-टनकपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में जगह- जगह बार-बार टूट रही चट्टानों की जांच विशेषज्ञों से कराए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि चार दिनों तक नेशनल हाईवे बंद रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। आम जनता को खासी तकलीफें झेलनी पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि बरसात होते ही हाईवे पर चट्टानें दरक रही हैं। चट्टानों की जांच भूगर्भ विशेषज्ञों से कराई जाए और जांच के आधार पर चट्टानों का ट्रीटमेंट किया जाए।

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