उत्तराखंड में बारिश का कहर, केदारनाथ पैदल यात्रा रोकी

उत्तराखंड में मौसम का मिजाज खतरनाक होता जा रहा है। गुजरे चौबीस घंटों के अंतराल में बादल फटने, नदी नालों के उफान और भूस्खलन की घटनाओं में 10 लोगों की जान चली गई, जबकि 17 लापता बताए जा रहे हैं। उनकी खोजबीन की जा रही है। लापता लोगों की संख्या बढ़ भी सकती है। वहीं, मौसम विभाग के भारी बारिश के अलर्ट के बाद 11 जिलों के जिलाधिकारियों ने सोमवार को सभी शिक्षण संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया है।

उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील के आराकोट क्षेत्र के गांवों में सबसे ज्यादा कहर बरपा। यहां बादल फटने के बाद उफान पर आए बरसाती नालों ने तबाही मचाई। भारी मात्रा में पानी और मलबा आसपास के गांवों तक आ पहुंचा। इसमें एक ही परिवार के आठ सदस्यों समेत 22 लोग मलबे और नालों के उफान में गुम हो गए।  इनमें पांच बच्चे भी हैं। 

देर रात तक इनमें से सात के शव बरामद कर लिए गए, बाकी की तलाश जारी है। रास्ते बंद होने की वजह से रेस्क्यू टीमें उत्तरकाशी के प्रभावित गांवों तक नहीं पहुंच पाईं। राजस्व टीम के साथ ग्रामीण खुद ही बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। यहां 50 से ज्यादा मकान और इतने ही दुकानें मलबे में दब गईं। 

नालों के उफान का पानी समाने के बाद उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा पर बहने वाली पावर नदी ने भी रौद्ररूप ले लिया। इसकी लहरें त्यूणी बाजार तक पहुंचने के मद्देनजर यहां सौ से ज्यादा दुकानों को खाली करा दिया गया है। प्रभावित इलाकों में संचार नेटवर्क ध्वस्त हो रखा है। अल्मोड़ा जिले के सीमावर्ती इलाके में रामनगर से गैरसैंण जा रही एक यात्री बस बरसाती नाले के उफान में करीब 20 मीटर तक बही। उसमें 30 लोग सवार थे, ग्रामीणों की मदद से सवारियों को रेस्क्यू किया गया, जबकि चालक का अभी तक कुछ पता नहीं चला है। 

देहरादून के मालदेवता इलाके में पिकनिक मनाने गया परिवार के सात सदस्य वाहन समेत नदी में बह गए। इनमें से छह को एसडीआरएफ ने बचा लिया, जबकि एक महिला की मौत हो गई। टिहरी में चारा लेने गई महिला पर पेड़ गिर गया, उसकी मौके पर मौत हो गई। बारिश और भूस्खलन से राज्यभर में काफी संख्या में पैदल रास्ते, पैदल पुलिया, संपर्क मार्ग ध्वस्त हो गए। हाईवे और चारधाम यात्रा पर भी मौसम ने असर डाला है। 

राजमार्गों पर एक से डेढ़ हजार लोगों के फंसे होने का अनुमान है। इन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के प्रयास चल रहे हैं। रास्ते बंद होने के कारण धामों में भी कुछ तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। प्रदेश में 162 से ज्यादा संपर्क मार्ग अवरुद्ध हैं।

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 210 किलोमीटर दूर हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटी मोरी तहसील के आराकोट न्याय पंचायत क्षेत्र में रविवार सुबह करीब साढ़े तीन बजे तीन स्थानों पर बादल फटा। इसके चलते यहां बरसाती नालों में उफान आ गया। उफान की स्थिति यह थी कि लोगों के घर भूकंप जैसी स्थिति में हिलने लगे। लोगों की नींद टूटी तो जलजला उनके घरों के करीब तक पहुंच चुका था। अफरा-तफरी में उन्होंने जान बचाने के लिए इधर-उधर दौड़ लगाई। 

इस बीच आराकोट में राइंका के प्रवक्ता बृज कुमार, उनकी 18 साल की बेटी संगीता के साथ ही एक अन्य शिक्षक की पत्नी, उद्यान विभाग के एक कर्मचारी, एक बच्चे समेत कुछ अन्य लोग मलबे और उफान की चपेट में आग गए। इसी दरिम्यान माकुड़ी गांव मेंं एक मकान जमीदोंज हो गया, उसमें रह रहे आठ सदस्य मलबे में दब गए। निकटवर्ती गांव टिकोची में रह रहे नेपाल मूल के पांच मजदूरों को भी नाले का उफान साथ बहा ले गया। 

देर रात तक इन गांवों में सात शव बरामद कर लिए गए थे। इनकी पहचान माकुड़ी चतर सिंह रावत (50) उनकी पत्नी कला देवी (45), किशन सिंह की पत्नी कलावती (40), उनकी पुत्री रीतिका निवासी माकुड़ी, शोभा देवी पत्नी मोहन लाल निवासी आराकोट, नेपाल मूल के कालूराम के रूप में हुई। एक बच्ची की शिनाख्त नहीं हो पाई। लापता अन्य 15 लोगों की खोजबीन की जा रही है। उत्तरकाशी के आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने 7 शव मिलने और 15 लोगों के लापता होने की पुष्टि की।   

संचार नेटवर्क ध्वस्त होने की वजह से प्रभावित गांवों से नुकसान की सटीक रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। विभिन्न स्रोतों से उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार आराकोट, मोल्डी, टिकोची, माकुड़ी, किराणू, ढुचाणू, डिगोली गांव में 50 से अधिक आवासीय भवन और इतनी ही संख्या में दुकानें जलजले की चपेट में आए हैं। इन गांवों के लोगों ने बागीचों और जंगल की ओर भागकर जान बचाई।

टिकोची और आराकोट में 10 पुलिया और एक दर्जन से अधिक वाहन भी बह गए हैं। टिकोची में अस्पताल और इंटर कालेज का भवन भी ध्वस्त हो गया है। सड़क, संचार और विद्युत सेवा से यह क्षेत्र पूरी तरह से कट गया है। उपलब्ध सूचना के अनुसार आराकोट में 25 भवन, टिकोची में अस्पताल, इंटर कालेज सहित 20 भवन, मोल्डी गांव में दस भवन, माकुड़ी में 18 भवन, किराणू में दो भवन, एराला में दो भवन बह गए हैं। टिकोची और आराकोट में एक दर्जन से अधिक वाहन नालों के उफान में बह गए। 

नागवाड़ा, ऐराला, मोल्डी, मालना सहित, टिकोची, चिवां सहित आदि स्थानों 10 से अधिक पुलिया बह गई है। रात के समय में ही आराकोट, मोल्डी, टिकोची, माकुडी, किराणू, ढुचाणू, डिगोली गांव के ग्रामीण जान बचाने के सुरक्षित स्थानों बागीचों और जंगल की ओर भागे। घटनाक्रम में कुछ लोगों के चोटिल होने की भी सूचना है। तहसील मुख्यालय मोरी  से आराकोट और टिकोची चिवां को जोडऩे वाला मार्ग पर भी पूरी तरह बंद है। 

रेस्क्यू टीम हिमाचल के पंद्राणू से ईसाली पुल होते हुए पैदल आराकोट के लिए रवाना हुई है। यह क्षेत्र बिजली, संचार और सड़क से पूरी तरह से कट गया है। वहां के लोगों से संपर्क भी नहीं हो पा रहा है। सड़कें बंद होने के कारण प्रभावित क्षेत्रों में पैदल ही रेक्क्यू टीमें रवाना कर दी गई हैं। देर शाम डीएम डा. आशीष श्रीवास्तव भी मौके के लिए रवाना हो गए। हेली रेस्क्यू के लिए मौसम साफ होने का इंतजार किया जा रहा है।  

भूस्खलन से बढ़ी दुश्वारियां 

उत्तराखंड में बारिश और भूस्खलन के चलते दुश्वारियां का दौर जारी है। चमोली जिले के पैनी और सेलंग इलाके में बरसाती नाले के उफान में पांच दुकानें ध्वस्त हो गईं, जबकि बदरीनाथ हाईवे दस मीटर बह गया। वहीं, चारधाम यात्रा मार्ग भी बार-बार अवरुद्ध हो रहे हैं। सुरक्षा के मुद्देनजर प्रशासन ने केदारनाथ पैदल यात्रा रोक दी है। पिथौरागढ़ के गणाईगंगोली में एक मकान ध्वस्त हो गया, उसमें रह रहा परिवार बाल-बाल बचा। 

चारधाम यात्रा मार्ग अवरुद्ध 

शनिवार से लेकर लगातार बारिश का दौर रविवार को भी जारी है। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं के अधिकांश जिलों में रिमझिम बारिश हो रही है। इससे सड़कें बंद होने और उन्हें खोलने का सिलसिला जारी है। पौड़ी-श्रीनगर मुख्य मार्ग मल्ली के निकट मलबा आने से बंद हो गया। इस तरह रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे बांसवाड़ा, डोलिया देवी, जामू नर्सरी के निकट फिर से बंद हो गया। बाद में डोलिया देवी व जामू नर्सरी के निकट सड़क खोल दी गई। रात भर से हो रही बारिश के चलते गंगोत्री हाईवे बड़ेथी चुंगी और हर्षिल के निकट अवरुद्ध है। यमुनोत्री हाईवे डाबरकोट के पास भूस्खलन से बंद है। बदरीनाथ हाईवे लामबगड़,  टंगणी में बंद है। साथ ही चमोली जिले के 19 संपर्क मार्ग भी अवरुद्ध हैं।

सड़क बहने से फंसे रहे पर्यटक  

उत्तरकाशी जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हुई बारिश के कारण हर्षिल के निकट तिलगाड़ नाले में उफान में आर्मी कैंप और हर्षिल हैलीपैड के बीच गंगोत्री हाईवे करीब 20 मीटर हाईवे बह गया है। 100 मीटर क्षेत्र में हाईवे पर मलबा फैल गया। हाईवे के बंद होने से गंगोत्री और धराली में 150 पर्यटक व उनके वाहन फंसे रहे। देर रात पर्यटकों को निकाल लिया गया। 

हाईवे बहने से गंगोत्री धाम सहित भारत-चीन सीमा का संपर्क भी कट गया है। गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुए यात्री हर्षिल से ही लौट आए। यहां पर हाईवे सुचारु करने के लिए बीआरओ के अधिकारी सहित 30 कर्मचारी मौजूद हैं। लेकिन, हर्षिल क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के कारण हाईवे को सुचारु करने में बाधा खड़ी हो रही है। तिलगाड़ नाले के उफान से आर्मी कैंप और हैलीपैड को भी खतरा बना हुआ है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि जो पर्यटक व यात्री वहां फंसे हुए हैं उन्हें निकाला जा चुका है। 

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