देहरादून: भाजपा मुख्यालय में लगने वाले जनता दरबार में आठवीं बार पहुंची महिला ने इस बार इंसाफ मांगने के लिए अपने बच्चे को ही कैबिनेट मंत्री के सामने रख दिया। महिला ने इंसाफ न मिलने तक बच्चे को वापस न लेने की बात कहते हुए मुख्यालय परिसर में ही धरना शुरू कर दिया। कैबिनेट मंत्री द्वारा उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार से बात करने के बाद रिपोर्ट को एमसीआइ भेजे जाने की जानकारी देने के बाद ही महिला बच्चे को लेकर वापस लौटी।
भाजपा मुख्यालय में गुरुवार को कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने जनता दरबार लगाया। इस दौरान कौलागढ़ सैनिक बस्ती निवासी कुमकुम पत्नी दुष्यंत कुमार अपने बच्चे को लेकर उनके सामने पहुंची। कुमकुम ने आरोप लगाया कि डॉ. अर्चना लूथरा की लापरवाही के चलते ही उन्होंने डाउन सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे को जन्म दिया है। मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में भी डॉक्टर अर्चना लूथरा की लापरवाही साबित हुई है।
बावजूद इसके डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसके लिए उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने भी जांच कराई लेकिन अभी तक इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा रही है। इस पर कैबिनेट मंत्री ने रजिस्ट्रार डॉ. वाइएस बिष्ट को फोन किया तो उनका फोन नहीं मिला। इस पर महिला ने कहा कि जब तक यह रिपोर्ट नहीं मिलेगी वे अपना बच्चा नहीं पकड़ेगी।
यह कहते हुए महिला ने बच्चा मंत्री के सामने रख दिया। मुख्यमंत्री के ओएसडी उर्बादत्त भट्ट ने बच्चे को तुरंत गोदी पर ले लिया। इसके बाद महिला ने हॉल के बाहर मांगे लिखित तख्ती लेकर बैठ गई। तकरीबन 45 मिनट बाद कैबिनेट मंत्री की रजिस्ट्रार डॉ. वाइएस बिष्ट से बात हुई। रजिस्ट्रार ने उन्हें अवगत कराया कि रिपोर्ट एमसीआइ, मानवाधिकार आयोग व पीड़ित महिला को भेज दी गई है। इसके बाद महिला अपने बच्चे को लेकर वहां से गई।
इस मामले में कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि महिला पहले भी आई है। इस मामले में जांच चल रही है। हर बार रजिस्ट्रार से उनकी बात हुई है। रजिस्ट्रार ने उन्हें बताया कि रिपोर्ट आ चुकी है और इसे मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, मानवाधिकार आयोग और पीडि़त महिला को भी भेजा गया है।
काउंसिल ने डॉ. लूथरा को दी क्लीन चिट
अर्चना हॉस्पिटल में डाउन सिंड्रोम से ग्रसित बच्ची के जन्म लेने के मामले में उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल ने अपनी जांच पूरी कर ली है। डॉ. अर्चना लूथरा के खिलाफ कोई न साक्ष्य न मिलने पर काउंसिल ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉ. वाईएस बिष्ट ने बताया कि इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली गई है। जिसमें एचआइएचटी जौलीग्रांट, श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल व महिला अस्पताल के डॉक्टर का पैनल मौजूद रहा।
इस प्रकरण में कोई ठोस साक्ष्य डॉक्टर के खिलाफ नहीं मिला। यह पाया गया कि डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक बीमारी है। 1000 बच्चों में यह किसी एक में होती है। इसमें डॉक्टर की लापरवाही सामने नहीं आई। उन्होंने कहा कि यदि महिला इससे संतुष्ट नहीं है तो वह दो माह के भीतर एमसीआइ में इसकी अपील कर सकती है।