देहरादून, उत्तराखंड के संरक्षित क्षेत्रों में वन्यजीव सुरक्षा के दृष्टिगत रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। सभी छह राष्ट्रीय उद्यान, सात अभयारण्य व चार कंजर्वेशन रिजर्व और इनसे सटे क्षेत्रों में एक से आठ नवंबर तक विशेष सतर्कता बरती जाएगी। फील्ड स्टाफ की छुट्टियां रद कर दी गई हैं और अपरिहार्य स्थिति में ही अवकाश स्वीकृत किया जाएगा। संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी गई है। दीपोत्सव के माहौल में वन्यजीवों पर कोई आंच न आए, इसे देखते हुए वन महकमे ने यह कदम उठाया है।यह किसी से छिपा नहीं है कि उत्तराखंड में फल-फूल रहे वन्यजीव शिकारियों व तस्करों के निशाने पर हैं। पूर्व में कई मौकों पर हुई गिरफ्तारी और वन्यजीव अंगों की बरामदगी के दौरान ये बात भी साफ हुई है कि शिकारियों व तस्करों के तार सीमा पर बैठे माफिया तक से जुड़े हैं।
हालांकि, बदली परिस्थितियों में शिकारियों व तस्करों पर लगाम कसने को कदम उठाए गए हैं, मगर चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही। त्योहारी सीजन में तो वन्यजीव सुरक्षा को लेकर सांसें अटकी रहती हैैं।प्रकाश पर्व दीपावली के मौके पर भी वन्यजीवों की जान सांसत में रहती है। उत्सव के माहौल का फायदा उठाकर शिकारी व तस्कर वन क्षेत्रों में न जा धमकें, इसे देखते हुए महकमा सतर्क हो गया है।
इसी कड़ी में आठ नवंबर तक के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है। राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि संरक्षित क्षेत्रों में संवेदनशील इलाके चिह्नित किए गए हैं, जहां गश्त बढ़ा दी गई है। खुफिया तंत्र को अधिक सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं। वायरलेस सेट चौबीसों घंटे आन रखने को कहा गया है। गश्त करने वाले कर्मियों को निर्देश हैं कि वे जगह-जगह लगे कैमरा ट्रैप की मानीटरिंग भी करें। साथ ही प्रत्येक छह घंटे में अपनी रिपोर्ट रेंज मुख्यालय को दें। रेंज से यह सूचना कंट्रोल रूम को मिलेगी।
अधिकारियों से भी कहा गया है कि वे गश्त का नियमित रूप से औचक निरीक्षण करें। राज्य से सटी सीमाओं पर विशेष चौकसी के निर्देश दिए गए हैं।उल्लू की सुरक्षा को ठोस रणनीतिदीपावली के दौरान तंत्र-मंत्र के उद्देश्य से उल्लू के शिकार की घटनाएं पूर्व में सामने आती रही हैं। इसे देखते हुए वन महकमे ने पिछले पांच साल के आंकड़ों के आधार पर प्रदेशभर में 27 संवेदनशील स्थल चिह्नित किए हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के अनुसार इन स्थानों पर साधारण पहनावे में वन कर्मी लगातार निगाह रखे हुए हैं। स्वयंसेवी संस्थाओं की भी इसमें मदद ली जा रही है।