रुद्रप्रयाग: समाज के प्रति सोच हो तो पद की व्यस्तता भी आड़े नहीं आती। इसकी बानगी हैं रुद्रप्रयाग में एसडीएम सदर के पद पर तैनात मुक्ता मिश्र, जो जिले के गरीब युवाओं के लिए उम्मीद की किरण बनी हुई हैं। प्रशासनिक व्यस्तताओं के बावजूद मुक्ता समय निकालकर न केवल 50 से अधिक युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की फ्री कोचिंग दे रही हैं, बल्कि उन्हें प्रतिष्ठित विद्यालयों की प्रवेश परीक्षा के लिए भी तैयार कर रही हैं। मुक्ता की इस पहल से तमाम इंटर पास गरीब नौनिहालों की उम्मीदें बलवती होने लगी हैं। बीते चार माह से वह राजकीय इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग में सुबह आठ से दस बजे तक नियमित कोचिंग कक्षाएं संचालित कर रही हैं।
मूलरूप से चमोली जिले के ग्राम देवाल की रहने वाली मुक्ता मिश्र 2014 बैच की पीएसीएस अधिकारी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर देवाल से हुई। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। बचपन साधारण पहाड़ी परिवार में बीता, संसाधन भी सीमित ही रहे। बावजूद इसके मेहनत और लगन से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया।
बकौल मुक्ता, ‘यदि समय का सही सदुपयोग कर लिया तो मंजिल की राह आसान हो जाती है। मैंने बचपन में समय को सबसे ज्यादा महत्व दिया। पीसीएस परीक्षा पास करने से पहले बैंक पीओ समेत अन्य नौकरियां भी की, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बनने के अपने लक्ष्य से नहीं डिगी। मैं चाहती हूं कि बच्चे भी इस बात को समझें और जीवन में उन्नति करें।’
कहती हैं, रुद्रप्रयाग में एसडीएम सदर के पद पर तैनात होने के बाद डीएम मंगेश घिल्डियाल की प्रेरणा से मैंने गरीब बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करने का मन बनाया। इंटर पास करने के बाद छात्रों के लिए जिले में कोई भी ऐसा संस्थान नहीं है, जहां वे सिविल सर्विस, इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें। खासकर गरीब छात्र तो तैयारी के बारे में सोच भी नहीं सकते।
पहाड़ के छात्र सिविल सेवा में बेहतर प्रदर्शन कर सकें, इसके लिए मैंने राजकीय इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग में कोचिंग की फ्री कक्षाएं शुरू कीं। वर्तमान में रुद्रप्रयाग शहर के अलावा अगस्त्यमुनि, तिलवाड़ा व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के 50 से अधिक नौनिहाल यहां कोचिंग ले रहे हैं।
एसडीएम मुक्ता के अनुसार पहाड़ के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। जरूरत बस! उन्हें प्रेरित करने की है। कोचिंग के माध्यम से वह यही कर रही हैं। हालांकि, अभी यह शुरुआत है। नतीजा आने में एक से दो वर्ष लग जाएंगे। यह पूछे जाने पर कि एसडीएम सदर जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए भी समय कैसे निकाल लेती हैं, मुक्ता कहती हैं कि सुबह आठ से दस बजे के बीच का समय मेरा अपना होता है। क्यों न इसे समाज के हित में लगाया जाए।
रुद्रप्रयाग निवासी सौरभ बिष्ट का कहना है कि मैं बीते तीन माह से नियमित कोचिंग ले रहा हूं। मुक्ता मैडम जिस तरह से कोचिंग दे रही हैं, उससे काफी फायदा मिल रही है। उन्होंने अच्छी किताबें भी उपलब्ध कराई हैं। इससे तैयारी में आसानी हो रही है। अगस्त्यमुनि निवासी अरविंद कठैत का कहना है कि इस पहल से रुद्रप्रयाग जिले के साथ ही आसपास के जिलों के छात्र भी कोचिंग के लिए प्रेरित हो रहे हैं। पहाड़ के लिए यह अनूठी पहल है, जिसका निश्चित रूप से भविष्य में लाभ मिलेगा।
रुद्रप्रयाग निवासी अंकित नेगी का कहना है कि जब से मैंने इंजीनियरिंग की कोचिंग शुरू की है, भविष्य के लिए उम्मीद की किरण नजर आने लगी है। थैंक्स मुक्ता मेम। तिलवाड़ा निवासी जयकृत कंडवाल का कहना है कि गरीब छात्र अपने बूते कोचिंग नहीं ले सकते थे। मुक्ता मेम ने उनकी उम्मीदों को पंख लगा दिए हैं। सभी छात्र पूरे मनोयोग से तैयारी कर रहे हैं।