नैनीताल: केंद्र सरकार की ओर से घोषित पद्म पुरस्कार की सूची में भूगर्भ विज्ञानी डॉ. विक्रम चंद ठाकुर का नाम शामिल होने से समूचा उत्तराखंड गौरवान्वित हुआ है। खासकर वैज्ञानिक बिरादरी डॉ. ठाकुर को पुरस्कार के लिए चयनित होने से गदगद है। डॉ. ठाकुर 1987 से 2000 तक वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून के निदेशक रहे और वर्तमान में देहरादून में ही रहते हुए हिमालयी क्षेत्र में भूकंप पर शोध कर रहे हैं।
कुमाऊं विवि के भूगर्भ विज्ञानी प्रोफेसर राजीव उपाध्याय बताते हैं कि डॉ. चंद भले ही मूल रूप से धर्मशाला हिमांचल प्रदेश के हैं, मगर उनके परदादा अस्कोट-पिथौरागढ़ के थे। जो बाद में हिमांचल जाकर बस गए। डॉ. चंद ने पंजाब विवि चंडीगढ़ से एमएससी किया और इंग्लैंड से पीएचडी की। प्रोफेसर उपाध्याय के अनुसार जब वाडिया इंस्टीट्यूट में वह शोध छात्र थे तो डॉ. चंद निदेशक थे।
उन्हीं के निर्देशन में उनके द्वारा लद्दाख से काराकोरम तक कि पहाड़ियों पर शोध किया गया। जिसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली। डॉ. चंद ने लद्दाख, अरुणाचल, हिमाचल की बहू वैज्ञानिक संरचना पर शोध किया। उन्होंने हिमालयी क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना पर शोध कार्य करने के साथ ही किताब भी लिखी हैं। बहरहाल प्रोफेसर केएस वल्दिया, डॉ. तीतियाल के साथ पद्म पुरस्कार की सूची में पिथौरागढ़ से डॉ. चंद का नाम भी जुड़ गया है।
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