मुंबई फिल्म उड़ता पंजाब पर चल रहे विवाद में हाई कोर्ट से सोमवार को फैसला आना है। इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि संविधान के दायरे में और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को मानते हुए बोर्ड को काम करना चाहिए। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि फिल्म एक प्रदेश पंजाब में फैली नशे की बीमारी को दर्शाती है, महज इससे देश की संप्रभुता पर कोई खतरा नहीं है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘यह फिल्म एक जगह (पंजाब) में नशे के खतरे को दर्शानेवाली है। अपने ऑब्जर्वेशन में हाई कोर्ट ने कहा कि इस फिल्म से देश की संप्रभुता को कोई खतरा नहीं है।’ साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस फिल्म पर रोक लगाने की जरूरत नहीं जान पड़ती है। कोर्ट ने कहा कि इस फिल्म को कानूनन सेंसर करने की जरूरत नहीं है।
हाई कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा, ‘फिल्म की पूरी सेटिंग का जिम्मा निर्माताओं का है। जब तक रचनात्मक स्वतंत्रता का हनन नहीं होता, तब तक किसी को हस्तक्षेप का अधिकार नहीं।’ बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि बोर्ड में ‘सेंसर’ शब्द का कोई जिक्र नहीं है। उसने सेंसर बोर्ड से कहा कि उसे (बोर्ड को) अपने अधिकारों का इस्तेमाल संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर करना चाहिए। लंच ब्रेक खत्म होने पर कोर्ट तीन बजे के बाद फिल्म पर अपना फैसला सुना सकती है।
इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने 13 कट और ‘A’ सर्टिफिकेट के साथ पास किया है। फिल्म पर सेंसर की कैंची से नाराज प्रड्यूसर अनुराग कश्यप मामले को कोर्ट लेकर पहुंच घए। अनुराग के समर्थन में पूरा फिल्म जगत है। अनुराग कश्यप ने बोर्ड अध्यक्ष पहलाज निहलानी पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप लगाया। वहीं, बोर्ड अध्यक्ष निहलानी का कहना है कि बोर्ड ने पूरी निष्पक्षता के साथ अपना काम किया है। फिल्म के अभद्र और अश्लील हिस्सों पर ही बोर्ड ने कैंची चलाई है।