New Delhi : सालों से चल रहे अयोध्या विवाद में अब मुस्लिम समाज भी हिन्दुओं के पक्ष में खड़ा है। एक बार फिर से मुस्लिमों ने राम मंदिर मामले को बकरीद पर उठाया। मुसलमानों ने जय श्री राम का नारा दिया और कहा कि राम मंदिर अयोध्या में ही बनेगा। मुस्लिम भी मान गए कि राम लला की जन्म भूमि पर राम मंदिर ही बने मस्जिद मंदिर से दूर मुस्लिम बहुल इलाके में बने।बड़ी खबर: न्यू इंडिया न्यू टारगेट न्यू कैबिनेट आयेगे सामने 9 नए चेहरे, 4 मंत्रियों का होगा प्रमोशन
मुस्लिमों ने अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद को हल करने के लिए एक नया कदम उठाया है। इस नई पहल में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के साथ-साथ राम मंदिर के पक्षकार अखाड़े और आरएसएस भी शामिल है। शिया वक्फ बोर्ड राम मंदिर के पक्ष में एक नया फार्मूला लेकर आये है जिसका नाम ”हक से आओ, मंदिर बनाओ, अमन भाईचारा फैलाओ।।।” इस फार्मूले में आरएसएस भी शिया वक्फ बोर्ड के साथ खड़ी है।
इस फार्मूले के मुताबिक, जहां राम मंदिर था, वहीं राम मंदिर बनाया जाएगा और मस्जिद वहां से दूर मुस्लिम बहुल इलाके में बनेगी और मस्जिद का नाम किसी आक्रमणकारी के नाम पर न रखकर मस्जिद-ए-अमन रखा जाएगा। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड यूपी के अध्यक्ष वसीम रिजवी इस फार्मूले को राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे स्वर्गीय रामचंद्र परमहंस के उत्तराधिकारी महंत सुरेश दास के पास लेकर अयोध्या पहुंचे और उनसे दिगंबर अखाड़े में मुलाकात की।
दरअसल, इस मुलाकात से सुन्नी पक्ष नाराज होता दिख रहा है। सुन्नी पक्ष शुरूवात से ही इस फैसले को लेकर शिया पक्ष के खिलाफ रहा है। असदुद्दीन ओवैसी इस फैसले की खिलाफत में खड़े नज़र आये। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अनुसार, सुन्नी पक्ष बहुत पहले ही खारिज हो चुका है और उनका मस्जिद पर कोई दावा बनता ही नही इसलिए शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड उनसे बातचीत के सख्त खिलाफ है।
बता दें कि शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड यूपी के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा कि ऐसे तमाम सबूत है की मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ था। सुरेश दास महंत दिगंबर अखाड़ा ने कहा कि मैं इनके प्रस्ताव का स्वागत करता हूंऔर इसको आगे बढ़ाएंगे। शिया पक्ष का कहना है कि राम मंदिर हिन्दू समाज की आस्था है वहाँ पर राम मंदिर बनना चाहिए।